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स्टार्ट अप

हरित ऊर्जा के लिए एक कोशिश

कूड़े के पहाड़ और चारों ओर फैले प्लास्टिक के कचरे के प्रति आप कितना सजग है? आप कहेंगे जी बहुत सजग हैं। पन्नी का इस्तेमाल कर किया है और कूड़े को सही तरीके से अलग-अलग करना भी सीख लिया। लेकिन, आप बैटरी के कचरे के बारे में कितना जानते हैं? क्या आप जानते हैं कि मोबाईल में लगने वाली, लैपटॉप में इस्तेमाल होने वाली, इनवर्टर में लगने वाली यहां तक कि आपके रिमोट में लगने वाली बैटरी तक पर्यावरण के लिए कितनी हानिकारक है। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में आज बात एक ऐसे स्टार्ट अप की जो इस दिशा में काम कर रहा है।

नूनम् है एक क्रांति

नूनम् स्टार्ट अप दो भारतीय युवा प्रदीप चटर्जी और दर्शन वीरुपक्ष के दिमाग की उपज है। ये स्टार्ट अप फिलहाल बेंगलुरु में है लेकिन, बैटरी से संबंधित इनका काम पूरे देश में चल रहा है। दरअसल, इन दोनों ही युवाओं ने इस ओर ध्यान दिया और इस बात की कोशिश की कि इन बैटरी को डम्पिंग ग्राउंड तक पहुंचने से पहले ही एकत्रित कर लिया जाये और इन्हें फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाया जाये। नूनम् स्टार्ट अप को जर्मन कंपनी ऑडी भी सहयोग कर रही है।

बेकार बैटरी को मिली नई जान

आइये पहले आपको बताते हैं कि कैसे ये स्टार्ट अप हमारे और आपके मोबाइल और लैपटॉप में इस्तेमाल होने वाली बैटरी को नयी जान देता है। नूनम् कंपनी के प्रतिनिधि देश के अलग अलग छोटे बड़े शहरों में कबाड़ी की दुकानों से मोबाइल और लैपटॉप एकत्रित करते हैं। इसके बाद इनसे निकाली जाती हैं बैटरी जिनके सूक्ष्म अवलोकन के बाद उन्हें रूप दिया जाता है नयी बैटरी का जो चार्ज होती है सोलर पैनल से। इसका मतलब ये हुआ कि इन बैटरियों को छोटी दुकान और ठेले पर सब्जी बेचने वाले आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए इस स्टार्ट अप ने मदद ने सेल्को फाउन्डेशन की जो छोटे शहरों में दुकानदारों की मदद से दो दशकों से बैटरी को सोलर पैनल से रीचार्ज करने के का काम कर रही है। इन्हीं के साथ नूनम् ने भी खुद को जोड़ा और इसमें एक क़दम आगे बढ़ते हुए ये अपनी बैटरी को एक मोबाइल एप के ज़रिए ट्रैक भी करते हैं। इससे उन्हें मालूम होता है कि कब तक ये बैटरी चलने लायक हैं और कब इसे आगे फिर रीसाइकल के लिए वापस ले लेना है।

नूनम् के साथ आई ऑडी

छोटे दुकानदारों के लिए रोशनी की व्यवस्था करने के साथ ही इस स्टार्ट अप ने ई रिक्शा के लिए भी बैटरी बनाने का काम किया है। इसमें इनका सहयोग दिया है इसके जर्मन सहयोगी ऑडी ने। ऑडी कंपनी अपने ई व्हीकल की पुरानी बैटरी नूनम् स्टार्ट अप को मुहैया करवाती हैं। जिन्हें ई रिक्शा की बैटरी में तब्दील कर दिया जाता है। तो ऐसे में ये भी कहा जा सकता है कि नूनम् स्टार्ट अप भारत से लेकर जर्मनी तक काम कर रहा है। अभी देश में जो इलेक्ट्रिक रिक्शा उपलब्ध हैं, वो सभी लेड-एसिड की बैटरी से चलते हैं। इनका जीवनकाल बहुत कम होता है और ख़राब होने के बाद ये ठीक भी नहीं हो पाते हैं। इसलिए कंपनी ने ऑडी की बैटरी से चलने वाले इन ई-रिक्शा की बैटरी को चार्ज करने के लिए सोलर चार्जर सिस्टम बनाया है। इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी भले ही एक वक़्त के बाद कारों के लिए मुफ़ीद ना हो लेकिन ये बैटरी से चलने वाले छोटे वाहनों जैसे कि इन ई रिक्शों के लिए दुरुस्त होती हैं।

हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले वक़्त में ऐसे और स्टार्ट अप सामने आएंगे। कूड़े के पहाड़ों जैसे बैटरी के पहाड़ बन ही नहीं पाएंगे। इस तरह ये स्टार्ट अप ना केवल ऊर्जा का एक नया स्त्रोत तैयार कर रहा है बल्कि पर्यावरण को प्रदूषण से भी बचा रहा है।