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धरती से बदलाव के क़दम

मिसाल हैं आलिया मीर

आज वो जम्मू-कश्मीर में नारीशक्ति की नई मिसाल बन चुकी हैं। उनका नाम आलिया मीर है। वो कश्मीर की पहली महिला वाइल्ड लाइफ़ रेस्क्यूअर हैं। उन्होंने कश्मीर की युवतियों को आगे बढ़ने और अपना भविष्य बनाने की एक नई राह दिखाई है। इसके साथ ही इस भ्रांति को भी चकनाचूर कर दिया है कि महिलाएं मुश्किल और ख़तरनाक काम नहीं कर सकती हैं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट पर कहानी इसी मजबूत इरादों वाली आलिया मीर की।

कश्मीर की पहली महिला वाइल्ड लाइफ़ रेस्क्यूअर
आलिया मीर को कश्मीर की पहली महिला वन्य जीव संरक्षक के तौर पर जाना जाता है। आलिया मुश्किल से मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन बड़े आराम से और शांत दिमाग से अंजाम दिया करती हैं। बड़े से बड़ा विषधर सांप हो, तेंदुआ हो या फिर भालू। आलिया मुश्किल में पड़े इन जानवरों को बचा कर उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाती हैं। घायल जानवरों को इलाज के बाद उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ देती हैं। उनके बुलंद हौसले और चुनौतीभरे इस काम को देखकर लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। उनके जज़्बे को सलाम करते हैं। आलिया वन्यजीवों के संरक्षण का काम क़रीब 15 सालों से कर रही हैं।

वॉलेंटियर से प्रोजेक्ट मैनेजर तक का सफ़र
वैसे तो आलिया टीचर बनना चाहती थीं। उन्हें गणित विषय बहुत अच्छा लगता था। वो बड़ी होकर बच्चों को गणित ही पढ़ाना चाहती थी। हर बच्चे की तरह उन्हें भी जानवरों से प्यार था। उनके घर में भी कुछ पालतू जानवर थे लेकिन आलिया ने कभी ये नहीं सोचा था कि आगे चलकर वो इन बेज़ुबानों के लिए काम करेंगी। टीचर बनने का सपना लिये आलिया आगे की पढ़ाई करती गईं। इसी बीच उनकी शादी हो गई। उनके पति जानवरों के डॉक्टर थे। इस वजह से आलिया का भी जानवरों से जुड़ाव बढ़ने लगा। एक समय ऐसा हो गया कि आलिया ने जानवरों के लिए काम करने की ठान ली। इसमें उन्हें उनके पति का भी साथ मिला। आलिया ने कश्मीर में वाइल्ड लाइफ़ कंजरवेशन के लिए काम करने वाली संस्था Wildlife SoS के साथ जुड़ गईं। वो संस्था के साथ वॉलेंटियर के रूप में काम करने लगीं। लेकिन जंगली जानवरों के रेस्क्यू का काम इतना आसान नहीं था। आलिया को भी ये बात अच्छी तरह से पता थी। इसी वजह से उन्होंने वाइल्ड लाइफ़ कंजरवेशन और रेस्क्यू से जुड़ी कई ट्रेनिंग और कोर्स किये। इस ट्रेनिंग ने आलिया को जंगली जानवरों के बर्ताव, उनके हाव-भाव, उनकी परेशानी समझने और रेस्क्यू के तरीक़े सिखा दिये। इससे आलिया में आत्मविश्वास भी आया। उनका काम दिन-ब-दिन बेहतर होता गया। साल 2007 में संस्था ने उन्हें प्रोजेक्ट मैनेजर बना दिया। पिछले 16 सालों से वो बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर काम कर रही हैं और कश्मीर में वन्यजीवों का संरक्षण कर रही हैं।

C-WildlifeSoS

इंसान-जानवरों के टकराव को रोकने का अभियान
आलिया और उनकी संस्था का मुख्य उद्देश्य जंगली जानवरों के बचाव के साथ-साथ इंसान और इन जानवरों के बीच होने वाले टकराव को रोकना भी है। आलिया बताती हैं कि साल 2007 एक भालू आबादी वाले इलाक़े में चला आया था। लोगों के भगाने पर वो उग्र हो गया और भीड़ ने उस पर हमला बोल दिया। लाठी-डंडों और पत्थरों की मार से भालू की मौत हो गई। इस घटना ने आलिया और उनकी टीम को झकझोर दिया। उन्हें लगा कि इस दिशा में तेज़ी से काम करने की ज़रूरत है। इसी के बाद से संस्था ने इंसान और जानवरों के बीच टकराव को रोकने के लिए अभियान शुरू कर दिया। इसके तहत उन्होंने जंगल के आसपास की बस्तियों में जागरूकता अभियान चलाना शुरू कर दिया। बड़े-बुज़ुर्ग हों या महिला और बच्चे, आलिया अपनी टीम के साथ सबसे मिलती, सबसे बात करती और उन्हें जंगली जानवरों की अहमियत समझाती। उनके सामने आने पर उनसे बचाव और अपने साथ-साथ उनकी सुरक्षा के उपाय बताती। आलिया का ये अभियान असरदार साबित हुआ। आलिया कहती हैं कि जानवरों को केवल दो चीज़ चाहिए। एक आश्रय और दूसरा भोजन। पूरी दुनिया में जंगल सिमटते जा रहे हैं और इंसानी बस्तियां बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में जंगली जानवर आबादी वाले इलाक़े में भटक कर आ जाते हैं।

चुनौतियों को हरा कर बढ़ाया क़दम
आलिया के लिए ये काम किसी चुनौती से कम नहीं था। जानवरों के रेस्क्यू के साथ-साथ उन्हें लोगों की मानसिकता से भी लड़ना था। आलिया बताती हैं कि कहीं से रेस्क्यू कॉल आने पर जब वो पहुंचती थी तो लोग उन्हें शक की निगाहों से देखते थे। उनके मन में हमेशा ये शंका रहती थी कि ये महिला विषैले सांपों का या किसी दूसरे जानवरों का रेस्क्यू कर पाएगी या नहीं। आलिया ने धीरे-धीरे अपनी क्षमता से लोगों की मानसिकता को भी बदल दिया। उन्होंने लोगों के अंदर बैठे इस रुढ़िवाद को तोड़ दिया कि महिलाएं ख़तरनाक काम नहीं कर सकती।

C-WildlifeSoS

आलिया को मिला सम्मान
आलिया ने अब तक सैंकड़ों विषैले सांपों, कई सरिसृप, भालू, तेंदुआ समेत कई जानवरों, चील, बाज, उल्लू, बत्तख समेत सैकड़ों परिदों का रेस्क्यू किया है। उन्होंने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के घर में निकले ख़तरनाक वाइपर का रेस्क्यू किया था। आबादी में घुसे तेंदुए और भालू को बचाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। राज्य के लेफ़्टिनेंट गर्वनर मनोज सिन्हा ने सम्मानित किया है।

C-WildlifeSoS

आलिया लगातार वन्यजीवों के संरक्षण के लिए काम कर रही हैं। जानवरों के रेस्क्यू ऑपरेशन के साथ-साथ वो अपनी 7 लोगों की टीम और वॉलेंटियर्स के साथ जागरूकता कार्यक्रम और वर्कशॉप चला रही हैं। उनका ये काम वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में मजबूत क़दम साबित होगा।