Home » मिसाल बन गई आकांक्षा
बंदे में है दम

मिसाल बन गई आकांक्षा

भले ही आज महिलाएं अंतरिक्ष तक पहुंच चुकी हैं। खेल के मैदान से लेकर ख़तरों भरे कामों को भी आसानी से अंजाम दे रही। वो बातें पुरानी हो चुकी हैं जब ये कहा जाता था कि महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। आज तो वो समय आ गया है कि महिलाएं कई मामलों में पुरुषों से ना केवल आगे निकल चुकी हैं बल्कि उनसे बेहतर भी कर के दिखा रही हैं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट एक ऐसी ही महिला की कहानी लेकर आया है जो किसी मिसाल से कम नहीं।

मिथक तोड़ने वाली आकांक्षा

वो देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर हैं जो भूमिगत खदान में ड्यूटी कर रही हैं। कोल इंडिया के चालीस साल के इतिहास में आकांक्षा इस उपलब्धि को हासिल करने वाली पहली महिला हैं। उन्होंने अगस्त 2021 में चतरा ज़िले में स्थित चुरी भूमिगत खदान में बतौर माइनिंग इंजीनियर ज्वाइन किया। आकांक्षा की ये उपलब्धि छोटी नहीं थी। देश की नारी शक्ति की कामयाबी का ये एक ऐसा मील का पत्थर है जो हमेशा याद किया जाएगा। तभी केंद्रीय खनन मंत्री से लेकर कोल इंडिया तक, सबने आकांक्षा को बधाई दी। हज़ारीबाग में उनके गांव बड़कागांव में ख़ुशियां मनाई गईं। हो भी क्यों ना। आकांक्षा ने 40 साल से चले आ रहे मिथक को तोड़ दिया है।

बचपन से तय कर लिया था रास्ता

हज़ारीबाग के बड़कागांव की रहने वाली आकांक्षा को बचपन से ही कोयले और कोयले की खदान से लगाव था। वो बचपन से ही खान के अंदर जाना चाहती थीं। पढ़ाई में तेज़ आकांक्षा ने अपनी नवोदय विद्यालय से की। कोयले की खान को लेकर उनका प्यार उन्हें इंजीनियरिंग तक ले गया। 2018 में उन्होंने बीआईटी सिंदरी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने 3 साल तक राजस्थान में हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की बलारिया खदान में काम किया और इसके बाद उनका सपना पूरा हुआ। उन्होंने कोल इंडिया की सब्सिडियरी CCL में अप्लाई किया। ना केवल उनका चयन CCL में हुआ बल्कि उन्हें माइन के अंदर तैनाती मिली। इसके लिए उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग भी दी गई।

ख़तरों से खेलने का जज़्बा

कोयले की खदान में काम करना ख़तरे से भरा हुआ है। ज़हरीली गैस, खान में आग लगने, पानी भरने और खदान के धंसने का हमेशा ख़तरा बना रहता है लेकिन आकांक्षा इन सब ख़तरों के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। आकांक्षा के मुताबिक रिक्स हर काम में है फ़िर वो काम क्यों ना किया जाए जिसे करने का मन हो। आकांक्षा ने अपनी इस क़ामयाबी का श्रेय अपने घरवालों को दिया है। वाकई आकांक्षा जैसी हिम्मती लड़कियां ही एक नई राह बना रही हैं।