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बंदे में है दम

अम्मा या अन्नपूर्णा ?

वाराणसी में एक मंदिर है। देवी अन्नपूर्णा का मंदिर। इस प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर की विशेषता है कि ये साल में केवल तीन या चार दिनों के लिए ही खुलता है। माना जाता है कि अन्नपूर्णा देवी पूरे अन्न की देवी हैं। हमें जो भोजन मिलता है वो उनकी ही कृपा से मिलता है। इन्हीं अन्नपूर्णा का आशीर्वाद मिला है तमिलनाडु के कोयंबटूर में रहने वाली कमलाथल अम्मा को। 80 साल की उम्र पार कर चुकी ये अम्मा साक्षात अन्नपूर्णा का अवतार हैं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी इसी अन्नपूर्णा देवी की।

अम्मा की इडली कथा

आजकल 1 रुपये में क्या मिलता है ? किसी भीख मांगने वाले को भी अगर आप 1 रुपये का सिक्का पकड़ाएं तो वो आपकी तरफ़ नाराज़गी भरी निगाहों से देखेगा। लेकिन तमिलनाडु के कोयंबटूर में 1 रुपये में 1 प्लेट इडली-सांभर और चटनी बेचती हैं। वो भी आज नहीं पिछले 30 से भी ज़्यादा सालों से।

रोज़ाना सुबह 6 बजे कमलाथल अम्मा की दुकान खुल जाती है बिना नागा के। सुबह से ही दुकान पर ग्राहक जुटने लगते हैं। ज़्यादातर वो लोग होते हैं जो सुबह कामकाज के लिए घर से निकलते हैं। अपने-अपने हिसाब से ये लोग अम्मा की दुकान से सिर्फ़ 1 रुपये प्लेट वाली इडली, सांभर खाकर काम पर चले जाते हैं।

इडली बनाने का आइडिया

इडली बनाने का आइडिया उन्हें तब आया जब वो घर में अकेली रहा करती थीं। कमलाथल किसान परिवार से जुड़ी हैं। जब उनका परिवार सुबह खेत में चला जाता था तब वो घर में अकेली रह जाती थीं। इसी दौरान उन्होंने इडली बनाकर खेत में काम करने वालों को बेचने का आइडिया आया। उन्होंने इस पर फ़ौरन अमल किया।  और उनका काम चल निकला। शुरुआत में वो केवल 25 पैसे प्लेट इडली बेचा करती थीं। मज़दूरों को खेत में ही घर का और सेहतमंद खाना मिलने लगा वो भी बेहद कम दाम में। कमलाथल का इडली सेंटर चल पड़ा। बाद में महंगाई बढ़ने पर उन्होंने इसे पहले 50 पैसे और फ़िर एक रुपये कर दिया। ज़रा सोचिए, इडली बनाने के लिए चावल, सांभर के लिए दाल, सब्जी और मसाले, चटनी के लिए नारियल और दूसरे मसाले। फ़िर चूल्हे के लिए लकड़ियां और कड़ी मेहनत लेकिन दाम सिर्फ़ 1 रुपये प्लेट। समय बीतने पर अम्मा के पति गुजर गए लेकिन उनका काम जारी रहा। धीरे-धीरे वो इडली पति, इडली अम्मा जैसे नामों से भी पुकारी जाने लगीं।

कोरोना काल में प्रवासियों की मदद

दो साल पहले जब कोरोना ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया था तब कोयंबटूर में भी सैकड़ों प्रवासी मज़दूर फंस गए थे। उस मुश्किल भरे समय में अम्मा ने अपनी रसोई के दरवाज़े ज़रूरतमंदों के लिए खोल दिये थे। इसी दौरान किसी ने उनका वीडियो बना कर सोशल मीडिया में डाल दिया था जो वायरल हो गया था।

महिंद्रा ने दिया घर, केंद्र सरकार ने रसोई गैस

अम्मा का वीडियो वायरल होने के बाद कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आए। कुछ ने इडली बनाने का सामान दिया तो कुछ ने और किसी तरह उनकी मदद की। तब तक अम्मा लकड़ी के चूल्हे पर ही इडली बनाती थीं। इसी बीच केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने इडली अम्मा के लिए रसोई गैस कनेक्शन और चूल्हा मुहैया करवा दिया तो मशहूर कारोबारी आनंद महिंद्रा ने अम्मा के लिए एक सुंदर सा घर बनवा दिया जिसमें उनके लिए एक आरामदायक रसोई घर भी है।

कभी पैसे का मोह नहीं रहा

इडली अम्मा को कभी भी पैसे का मोह नहीं रहा। वो आराम से इडली के दाम बढ़ा सकती थीं। 1 रुपये से 10 या 20 रुपये कर सकती थीं और तय है कि उनके ग्राहक कभी उनसे मुंह नहीं मोड़ते लेकिन इस मंहगाई के दौर में भी वो केवल एक ही रुपये में एक प्लेट इडली बेच रही हैं। वो कहती हैं कि उनके लिए पैसे मायने नहीं रखते, भूख मिटने से लोगों के चेहरे पर जो खुशी, जो संतुष्टि आती है वहीं उनकी असल कमाई हैं। बस यही बातें, यही भाव कमलाथल अम्मा को अन्नपूर्णा बना देता है।