कहते हैं भगवान एक रास्ता बंद करता है तो कई खोल देता है और फिर ज़िंदगी इन्हीं रास्तों को रंगीन बना देती है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी एक ऐसे किरदार की जो हर मायने में बेहद ख़ास है। अमृतांश की उम्र केवल 14 साल है लेकिन रंगों से वो ऐसे खेलता है मानों कोई उम्रदराज़ चित्रकार अपने हुनर का कमाल दिखा रहा हो।
ऑसम ऑटिज़्म
अमृतांश की पेंटिंग, रंगों को लेकर उनकी समझ, कैनवॉस से उनका प्यार देखकर कोई भी ये नहीं मान सकता कि वो ऑटिज़्म से पीड़ित हैं लेकिन ये सच है। अमृतांश को बहुत छोटी सी उम्र में इस बीमारी ने घेर लिया था। लेकिन ये उनका और उनके परिवार का ज़िंदगी से प्यार ही है जो उन्हें इस मुक़ाम पर ले कर आया है।
आसान नहीं रहा अब तक का सफर
अमृतांश के माता-पिता को जब उसकी बीमारी का पता चला तो उन्होंने उसका इलाज कराने की हर संभव कोशिश की लेकिन उन्हें क़ामयाबी नहीं मिली। अमृतांश आज तक अपने मुंह से एक शब्द नहीं बोल पाया है लेकिन कूची से कैनवास पर वो कुछ ऐसा उकेर जाता है जो किसी कविता से कम नहीं लगता है। अमृतांश की इस प्रतिभा को उभारने में उसकी मदद की उसकी मां रोहिणी ने और उनका साथ दिया पूरे परिवार ने।
रोहिणी बताती हैं कि रंगों से खुद को अभिव्यक्त करना अमृतांश के लिए जीवन का एक पड़ाव भर है। वो कब इसे छोड़कर आगे बढ़ जाएगा कोई नहीं जानता। लेकिन, वो अमृतांश के इस पड़ाव को खुलकर सेलिब्रेट करना चाहती हैं। अमृतांश कई सामूहिक प्रदर्शनियां और अब तक दो एकल प्रदर्शनी लगा चुका है। जो भी इन प्रदर्शनियों को देखने आता है वो बस हैरान रह जाता है।
अमृतांश उन सभी बच्चों और उनके माता पिता को हौसला दे रहा है जो ऑटिज्म जैसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं। वो बताता है, समझाता है कि कोई भी बीमारी किसी को ज़िंदगी जीने से रोक नहीं सकती।
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