सामान्यतः ये मान लिया जाता है कि युवा हैं तो ज़िंदगी के प्रति उनका कोई गंभीर नज़रिया नहीं होगा। युवाओं को उनके जोश और बेफ़िक्री के लिए पहचाना जाता है। लेकिन, आज हम आपको मिलवाएंगे एक ऐसी युवा से जो जोश से तो भरपूर हैं लेकिन, साथ ही फ़िक्रमंद भी हैं। हम आपको आज मिलवाएंगे गुजरात के शांत शहर वडोदरा की रहने वाली भर्गसेतु शर्मा से। भर्गसेतु 24 साल की हैं। वो सड़क किनारे रह रहे जानवरों के लिए काम करती हैं। वो बेसहारा पशुओं का सहारा हैं। जानवरों के लिए वो ह्यूमन्स विथ ह्यूमैनिटी नाम की गैर सरकारी संस्था चलाती हैं। भर्गसेतु ने इसकी स्थापना साल 2020 में की। दरअसल कोविड काल में जब इंसान को ही आसरा और खाना पीना मिलना दूभर हो रहा था उस दौर में भर्गसेतु सामने आयी और उन्होंने इन जानवरों की मदद करने की संस्थागत शुरुआत की। लेकिन, ऐसा नहीं है कि इसके पहले वो इस दिशा में काम नहीं कर रही थी। सालों से वो बेज़ुबानों को मदद करती रही हैं।
मोहल्ले में हुई घटना ने बदला जीवन
वो साल 2013 से यानी कि जब वो महज 14 साल की थी तब से ऐसे जानवरों के लिए काम कर रही हैं। वो बताती हैं कि उनके मोहल्ले में हुए कुछ पिल्लों को जब सोसाइटी के लोगों ने उनकी मां से अलग किया था तो उसकी छटपटाहट ने भर्गसेतु को पहली बार सोचने पर मजबूर किया था। भर्गसेतु ने जी जान लगाकर उन बच्चों को वापस उनकी मां से मिलवाया था और उस दिन से शुरुआत हुई उनकी इस यात्रा की। वो कहती हैं कि ऐसा करके उन्हें ये महसूस होता है वो इंसान हैं।

रिएलिटी शो से मिली प्रसिद्धि
भर्गसेतु एक टीवी रिएलिटी शो में रियल हीरोज़ के रूप में शामिल भी हो चुकी हैं। इस शो के बाद भर्गसेतु के बारे में लोगों को और अधिक जानकारी मिली। लोगों ने उनसे संपर्क किया और उनकी इस मुहीम में जुड़े भी। अपने दम पर काम करने वाली भर्गसेतु की हिम्मत ही ये कि वो अपने एनजीओ के ज़रिये इस युवा लड़की ने छह साल में 3,800 संकटग्रस्त आवारा और पक्षियों को बचाया है।

19 साल की उम्र में डूबते युवक को बचाया
भर्गसेतु का पूरा जीवन ही मिसाल है। अगर बीते दिनों की बात कि जाये तो साल 2018 में बहादुरी का ऐसा उदाहरण पेश किया था कि हर किसी को उनकी हिम्मत और साहस पर यकीन हो गया। साल 2018 में सावली स्थित रसलपुर में महीसागर में डूब रहे युवक को भर्गसेतु शर्मा ने अपनी जान की परवाह न करते हुए डूबने से बचाया। युवक नदी में 20 फीट गहराई तक पहुंच गया था। कई लोग उसे बचाने की भी कोशिश कर रहे थे लेकिन, उस गहराई में अगर कोई उतरा तो वो थी भर्गसेतु। भर्गसेतु ने जब उस युवक को बाहर निकाला तो उसकी सांसें बंद हो चुकी थी। सबको लग रहा था कि उसकी मौत हो गई लेकिन भर्गसेतु ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने ख़ुद युवक को सीपीआर देना शुरू किया। क़रीब 20 मिनट तक वो लगातार उसे सीपीआर देती रही और आख़िरकार उस युवक की सांसें लौट आईं। भर्गसेतु की इस दिलेरी के लिए उनकी ख़ूब प्रशंसा हुई।
शानदार शख्सियत हैं भर्गसेतु
भर्गसेतु जितना बेसहारा जानवरों के लिए समर्पित हैं उतनी ही वो ख़ुद की शख़्सियत को भी निखारने में मेहनत करती हैं। वो एक स्केटर हैं, वो एक शानदार स्वीमर हैं। उन्हें साल 2017 में नेशनल कैडेट कोर के बेस्ट कैडेट का अवार्ड मिला है। वो एक नेवल कैडेट हैं। साल 2019 में उन्हें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने रक्षा मंत्री पदक से अलंकृत किया। गुजरात के राज्यपाल भी भर्गसेतु को सम्मानित कर चुके हैं। एनसीसी कैडेट भर्गसेतु पर न सिर्फ़ उनके शहर, उनके राज्य को गर्व है बल्कि उन पर हम सभी को पूरे देश को गर्व है।

भर्गसेतु आज के युवाओं के लिए मिसाल है। गंभीरता उम्र के साथ आती है इस बात को गलत साबित करते हुए भर्गसेतु बड़े बड़े लोगों को जानवरों और ज़रूरतमंदों के प्रति संवेदनशील बनाने का काम कर रही हैं। भर्गसेतु को हमारी ओर से शुभकामनाएं।
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