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धरती से

पर्यावरण के लिए बड़ा क़दम

इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में आज मिलिए उनसे जिनकी छोटी सी पहल ला रही है पर्यावरण संरक्षण में बड़े बदलाव। बेंगलुरु की वाणी मूर्ति आज हर किसी के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी है। वाणी मूर्ति को लोग उनके नाम से कम और वर्म रानी के नाम से ज्यादा पहचानते हैं।

वाणी मूर्ति एक  सामान्य परिवार से ताल्लुक रखती  हैं

 सामान्य जीवन जीने वाली वाणी एक बार यूं ही घूमते घूमते पहुंच गई मवल्लीपुरा लैंडफिल। उस लैंडफिल को देखने के बाद उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि कैसे लोग इस धरती को बर्बाद कर रहे हैं। इसके बाद वाणी ने इस विषय में बहुत कुछ पढ़ा और समझा। जब उन्हें ये महसूस हुआ कि गीला कचरा कैसे हमारे पर्यावरण, जिसमें हवा, मिट्टी और पानी तीनों शामिल है, को नुकसान पहुंचा रहा है, तो यह जानने के बाद उन्होंने यह संकल्प ले लिया कि आज से इस 40 टन वाले कचरे के ढेर पर उनके घर का कूड़ा नहीं आएगा।

यूं तो वाणी ने साल 2007 में पहली बार किचन गार्डन तैयार किया था। लेकिन, साल 2009 में जब वो मवल्लीपुरा लैंडफिल पहुंची तो उन्हें ये अहसास हुआ कि अब उन्हें कुछ ऐसा करना है जो इस लैंडफिल को ख़त्म कर सकें।

60 साल की वाणी मूर्ति का ये संकल्प  पक्का था

 इसके बाद उन्होंने घर के कूड़े का निपटारा घर के अंदर ही करना शुरू कर दिया। वाणी अपने घर से निकले वाले गीले कूड़े से खाद बनाती हैं। वाणी मूर्ति को जब इस काम में सफलता मिलना शुरू हो गयी तो उन्होंने अपने आसपास के लोगों को, दोस्तों और परिजनों को भी प्रेरित करना शुरू किया।  आज वाणी मूर्ति बेंगलुरु में जाना माना नाम है। वाणी लोगों को बायो एंजाइम बनाना और कूड़े का सही निष्पादन कैसे किया जाये ये सिखाती और समझाती हैं।

वाणी मूर्ति के साथ आज कई युवा जुड़ चुके हैं। बेंगलुरु का प्रशासन आज वाणी के साथ हैं और उनके बताये सुझावों पर अमल भी कर रहा है। इतना ही नहीं हैदराबाद में भी वाणी मूर्ति के आइडिया पर लोगों ने काम करना शुरू कर दिया है।

वाणी ने मीडिया ख़ासकर सोशल मीडिया को अपना हथियार  बनाया

शुरुआत में उन्होंने अख़बार, रेडियो और टीवी के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के प्रयास किये। इसके बाद वो सोशल मीडिया पर आयी। साल 2015 से टेडएक्स की वक्ता वाणी आज सोशल मीडिया पर भी प्रसिद्धी पा चुकी हैं। वे रील्स बनाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के तरीके सिखाती हैं। वाणी मूर्ति पर्यावरण से संबंधित कई अंतरराष्ट्रीय मुहिमों से भी जुड़ चुकी हैं। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की ओर से वाणी को शुभकामनाएं।