Home » स्थानीय बोली और संस्कृति की वाहक
बंदे में है दम

स्थानीय बोली और संस्कृति की वाहक

बोलियां भाषा को समृद्ध बनाती हैं। भारत में हर क्षेत्र की अलग-अलग बोलियां हैं। एक ही राज्य में कई तरह की बोलियां बोली जाती हैं और ख़ास बात ये है कि ये सारी बोलियां अपने आप में महत्व रखती हैं। अवधी, भोजपुरी, मैथिली, गढ़वाली, कुमाऊंनी, आप जहां जाएंगे वहां एक अलग बोली मिलेगी। ठीक इसी तरह मध्य प्रदेश के दो अंचलों मालवा और निमाड़ की बोलियां भी बिल्कुल अलग हैं। इसके साथ ही ये भाषाई रूप से काफ़ी समृद्ध भी हैं। इन्हीं बोलियों के उत्थान और विकास के लिए काम कर रही हैं वो शख़्सियत जिनकी कहानी आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट लेकर आया है।

मालवी के लिए संघर्ष

हेमलता शर्मा मध्य प्रदेश सरकार के वित्त विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं। अपनी मीठी बोली और स्वभाव की वजह से हेमलता भोली बेन के नाम से मशहूर हैं। अपनी सरकारी ज़िम्मेदारियों के अलावा हेमलता एक मिशन में जुटी हुई हैं। साहित्य से रुचि रखने वाली हेमलता हिंदी में तो लिखती ही हैं साथ-साथ मालवी बोली में भी लिखती हैं। मालवी बोली और मालवी संस्कृति के प्रचार-प्रसार का अभियान चला रही हैं। वो ना केवल साहित्यकार और कवयित्री हैं बल्कि थियेटर आर्टिस्ट भी हैं। अपनी लेखनी और कविताओं के साथ-साथ रंगकर्म में भी उन्होंने मालवी बोली को आगे बढ़ाया है। उन्होंने सोशल मीडिया को मालवी को आगे बढ़ाने का एक ज़रिया बना लिया है। भोली बेन के मालवी लोकगीत, लोक नाटक और कविताओं के वीडियो सोशल मीडिया पर भी ख़ूब पसंद किये जाते हैं। यूट्यूब पर वो बाक़ायदा मालवी सिखाने की क्लास चलाती हैं।

अकादमी के लिए जन-आंदोलन

हेमलता शर्मा जो भोली बेन के नाम से मशहूर हैं वो मालवी के साथ-साथ निमाड़ी बोली के प्रसार के लिए भी काम कर रही हैं। उन्होंने मालवी और निमाड़ी के लिए अलग अकादमी बनाने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने एक संघर्ष समिति बनाई है। ये संघर्ष समिति बिना किसी शोर-शराबे, नारे-हंगामे के शांतिपूर्वक अपनी मांग पर डटी है। अकादमी की मांग को लेकर वो एक हस्ताक्षर अभियान चला रही हैं। बहुत कम समय में ये हस्ताक्षर अभियान एक आंदोलन बन चुका है। शहरों से निकल कर ये आंदोलन अब गांव, क़स्बों तक पहुंच चुका है। खेत खलिहान, दुकान से लेकर स्कूल-कॉलेज भी इससे जुड़ रहे हैं। सबसे ख़ास बात ये है कि ये अभियान स्वत:स्फूर्त है। लोग ख़ुद ही इस अभियान से जुड़ रहे हैं।

सम्मान और रिकॉर्ड किये अपने नाम

हेमलता शर्मा ने बहुत कम समय में साहित्य और रंगकर्म में अपनी मजबूत पहचान बना ली है। कई बड़े अख़बारों और पत्रिकाओं में छप चुकी भोली बेन ने ख़ुद 8 क़िताबें लिखी हैं। इनमें से 5 हिंदी में तो 3 मालवी में हैं। मालवी की लोकोक्तियों, पहली, कथाओं को उन्होंने अपनी क़िताब में समेटा है। मालवी शब्दकोश समेत 3 क़िताबें प्रकाशित होने वाली हैं। उन्होंने कई प्रसिद्ध रचनाओं की मालवी में अनुवाद भी किया है।

मुश्किलों को जीत कर मंज़िल की ओर

हेमलता शर्मा ने आज अपना मक़ाम बना लिया है। वो उच्च प्रशासनिक सेवा में हैं। साहित्य में भी उनकी पहचान है लेकिन ये उपलब्धि उनके लिए आसान नहीं थी। उनका बचपन संघर्षों में बीता। पिता दैनिक वेतन भोगी थे। परिवार में रोज़ जद्दोजहद बनी रहती थी। हेमलता शुरुआत से ही पढ़ाई में अच्छी थीं। थोड़े बड़े होने पर उन्होंने ख़ुद की पढ़ाई के साथ-साथ ट्यूशन पढ़ानी भी शुरू कर दी। इससे होने वाली आय उनके घर के लिए बहुत मददगार साबित हुई। कॉमर्स में स्नातक और समाज शास्त्र में स्नातकोत्तर के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करना शुरू किया। पहले उनका चयन जनसंपर्क विभाग में हुआ बाद में वो प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुईं। ग़रीबी के अलावा हेमलता को लिंगभेद का भी सामना करना पड़ा लेकिन हर मुश्किल को पार कर वो आगे बढ़ती गईं और आज भी सरकारी सेवा ही नहीं साहित्य और अपनी मिट्टी अपनी बोली के लिए वो लगातार काम करती जा रही हैं।

About the author

admin

2 Comments

Click here to post a comment

  • धन्यवाद ,story project
    , आपने भोली बेन के योगदान को स्थान दिया। अपनी बोली,अपनी भाषा,अपने साहित्य-संस्कृति को जानना और समझना हमें बेहतर इंसान बनाते हैं। एक बेहतर माहौल भी।
    ऐसे ही आगे बढ़े ये सीरीज यही कामना है ==
    महिमा शुक्ला
    इंदौर
    9589024135