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खेल की दुनिया

कॉमनवेल्थ गेम्स का स्वर्णवीर

केवल 20 साल की उम्र में उसने वो मुक़ाम हासिल कर लिया जिसे पाने में लोगों की आधी ज़िंदगी लग जाती है। इतनी छोटी सी उम्र में उसने देश का मान बढ़ाया लेकिन उसकी इस कामयाबी के पीछे संघर्ष की लंबी दास्तां है। हम बात कर रहे हैं कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को तीसरा स्वर्ण पदक दिलाने वाले अंचिता शुली की। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी कॉमनवेल्थ गेम्स के इसी स्वर्णवीर की।

बर्मिंघम में लहराया तिरंगा

बर्मिंघम में जब तीन राष्ट्र के ध्वजों में सबसे ऊपर तिरंगा लहराया तो हर भारतवासी का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। वो पल जब अंचिता शुली को गोल्ड मैडल दिया गया वो हर हिंदुस्तानी के लिए फ़क़्र का पल था। अंचिता शुली ने 73 किलोग्राम भारवर्ग में हिस्सा लिया था। उन्होंने स्नैच में 143 किलो का वजन उठाया। क्लीन एंड जर्क में पहले प्रयास में ही 166 किलोग्राम का भार उठा लिया, हालांकि दूसरा प्रयास विफल रहा लेकिन तीसरे प्रयास में उन्होंने 170 किलोग्राम का वजन उठाया। यानी उन्होंने कुल 313 किलो वजन उठाया जो कॉमनवेल्थ गेम्स का रिकॉर्ड बन गया। अपने प्रतिद्वंदी मलेशियाई खिलाड़ी से उन्होंने 10 किलोग्राम ज़्यादा भार उठाया था।

वंचित परिवेश में पले अंचिता का कमाल

अंचिता ने जिन परिस्थितियों में देश को खुश होने का मौक़ा दिया है, वह प्रेरित करने वाला है। बेहद ग़रीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले अंचिता शुली ने अपने खेल के दम पर ज़मीन से आसमान तक सफ़र तय किया है। पश्चिम बंगाल के एक ग़रीब परिवार में ज़िम्मेदारियों का बोझ उठाने वाले अंचित एक दिन करोड़ों भारतीयों के उम्मीदों का बोझ उठाएंगे, ऐसा कम ही लोगों ने सोचा होगा। लेकिन भारत को तीसरा गोल्ड और वेटलिफ्टिंग में 6ठां मेडल दिलाने वाले अंचिता शुली ने कमाल का खेल दिखाते हुए ना केवल इन उम्मीदों को अपने सिर माथे पर उठाया बल्कि उसे साकार भी किया। 

ग़रीबी से पोडियम तक का सफर

पश्चिम बंगाल के रहने वाले अंचिता शुली की कहानी बहुत प्रेरक है। जब अंचिता सिर्फ़ 10 साल के थे तो एक दिन कटी पतंग पकड़ते-पकड़ते वो एक जिम में पहुंच गए। वहां अंचिता के बड़े भाई आलोक वेट लिफ्टिंग की प्रैक्टिस करते थे। अंचिता को यही से प्रेरणा मिली और उनका झुकाव वेटलिफ्टिंग की तरफ़ हुआ। हालांकि परिवार की माली हालात बहुत ख़राब थी। पिता जगत साइकिल रिक्शा चलाते थे। वो मज़दूरी मिलने पर मज़दूर का काम भी करते थे ताकि परिवार की ज़रूरतें पूरी हो सकें। लेकिन ग़रीबी से लड़ रहे अंचिता के परिवार को तब बड़ा झटका लगा जब 2013 में पिता की अचानक मौत हो गई। इसके बाद अंचिता के परिवार के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया। पिता की मौत के बाद अंचिता के भाई आलोक का सपना भी टूट गया। आलोक ने वेटलिफ्टिंग छोड़ दी और परिवार के ज़िम्मेदारी पूरी करने के लिए काम करने लगे। मां ने भी सिलाई-बुनाई का काम शुरू कर दिया ताकि बच्चों का पेट पाल सके। 

बड़े भाई को दिया ‘सोने का श्रेय’

पिता की मौत के बाद बड़े भाई आलोक ने ख़ुद वेटलिफ्टर बनने का सपना छोड़ दिया लेकिन उन्होंने अंचिता को वेटलिफ्टर बनाने के लिए जी-जान लगा दी। अंचिता भी टूट चुके थे। अब उनका मन वेटलिफ़्टिंग में नहीं लग रहा था। घर की माली हालत भी उन्हें क़दम पीछे करने पर मजबूर कर रही लेकिन बड़े भाई ने ऐसा होने नहीं दिया। उन्होंने ना केवल अंचिता को हौसला दिया बल्कि उनकी ट्रेनिंग जारी रखने के लिए ख़ूब मेहनत से पैसे कमाए। इसी बीच ज़िला स्तर, जूनियर लेवल और नेशनल स्तर पर अच्छे प्रदर्शन के बाद अंचिता को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। आलोक कहते हैं कि मैं जो भी पैसे बचाता था, कोशिश करता था कि अंचिता की डाइट पूरी कर सकूं। डाइट पूरी करने के लिए आलोक के साथ-साथ अंचिता ने भी मज़दूरी की। तभी अंचिता ने कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल जीतने के बाद अपने भाई आलोक को इसका श्रेय दिया।

सफ़र में मिला कइयों का साथ

अंचिता के बेहतर प्रदर्शन को देखकर उनकी मदद के लिए एक फाउंडेशन सामने आया।  साल 2019 में युवाओं की खेल प्रतिभा को निखारने में मदद करने वाली एक संस्था ने अपने एलीट एथलीट स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत अंचिता का चयन किया। इस प्रोग्राम ने अंचिता की न सिर्फ़ आर्थिक मदद की बल्कि स्पोर्ट्स सोइकोथेरेपिस्ट और स्पोर्ट्स साइंस स्पेशलिस्ट भी उनके लिए उपलब्ध कराए। फाउंडेशन के हॉस्पिटल में अंचिता के न्यूट्रीशंस, स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग, साइकोलॉजिक और डेटा एनालिसिस की व्यवस्था कि ताकि वे इंटरनेशनल कंपीटिशन के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें।

अंचिता की खुशियों में सब हैं शामिल

कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंचिता शुली को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अंचिता से हमने टूर्नामेंट शुरू होने से पहले बात की थी। उनकी मां व भाई ने जो त्याग किया है, वह प्रेरणादायी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने भी अंचिता को बधाई दी। इससे पहले 2021 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीत चुके अंचिता का गोल्ड मैडल जीतना अब उनके एक नए सफ़र का आग़ाज़ है। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की ओर से भी अंचिता को ढ़ेरों शुभकामनाएं।