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कामयाबी पल्लवी के क़दम चूमती है

वो एक शिक्षाविद् हैं। वो एक आंत्रप्रेन्योर हैं। उनकी शख़्सियत ये बताती है कि इंसान चाहे तो ख़ुद को कई रूपों में ढाल सकता है। उन्होंने कई नई शुरुआत कर ये साबित किया है कि हमें जिस चीज़ के बारे में ये लगता है कि इसमें सीखने समझने की क्या ज़रूरत है वो ना केवल ग़लत सोच है बल्कि उसमें सुधार की कितनी ज़रूरत है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की कहानी भोपाल की रहने वाली डॉ पल्लवी राव चतुर्वेदी की।

लोगों को सिखाए पैरेंटिंग के गुर
ये कोरोना का दौर था जब ज़्यादातर लोग घरों में क़ैद थे। पहली बार ऐसा हुआ जब बच्चे अपने मां-बाप के साथ इतना समय बिता रहे थे। ये समय घर में रहने के बावजूद अभिभावकों और बच्चों के लिए कठिन था। इस बात को पल्लवी भी समझ रही थीं। स्कूलिंग से जुड़ी पल्लवी से कई लोग इस बारे में सलाह मांग रहे थे। तब पल्लवी ने इससे जुड़े वीडियो बना कर पोस्ट करने शुरू किये। उनके इन वीडियो को ख़ूब पसंद किया गया। इससे उत्साहित होकर उन्होंने पैरेंटिंग कोच की तरफ़ क़दम बढ़ा दिया। अपना नया प्लेटफॉर्म शुरू किया ‘गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी’। इसके ज़रिये वो लोगों को बच्चों के साथ बर्ताव करने के तरीके, उनकी परेशानियों, उनके व्यवहार को समझने के तरीके सिखाती और बताती हैं। ये एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जहां उनके लाखों फॉलोवर हैं।

चाइल्ड एजुकेशन में कई नवाचार
गेट सेट पेरेंट विद पल्लवी के अलावा पल्लवी ने बच्चों की पढ़ाई से जुड़े कई नवाचार किये हैं। साल 2012 उनके जीवन में नई शुरुआत लेकर आया था। इसी साल वो मां बनी थी। अपने बच्चे के पालन-पोषण के दौरान उन्हें लगा कि प्री स्कूलों में आने वाले हर बच्चे को पर्याप्त देखभाल की ज़रूरत है। इसी सोच के साथ उन्होंने प्री स्कूल खोला। आज देश भर में उनके 25 प्री स्कूल चल रहे हैं। पल्लवी ने बच्चों के दिमागी विकास से जुड़े सैकड़ों प्रोडक्ट लॉन्च किये हैं। इसके अलावा बच्चों के लिए वो कई तरह की क़िताबें तैयार कराती हैं जो उनके सर्वांगीण विकास में फ़ायदा पहुंचाते हैं। इतना ही नहीं, बच्चों में होने वाले शारीरिक बदलावों, शारीरिक असमानताओं की वजह से बच्चों पर पड़ने वाले मानसिक दबावों से निपटने पर भी पल्लवी काम करती हैं। इसके साथ-साथ बच्चों में गैजेट्स की लत से निबटने के उपायों पर भी पल्लवी ने काफ़ी अच्छे और असरदार प्रयोग किये हैं। बढ़ती उम्र के बच्चों यानी टीनएजर्स का अपने माता-पिता के साथ संबंध बेहद नाज़ुक हो जाता है। दोनों को एक-दूसरे को समझना मुश्किल होता है। पल्लवी के नवाचार माता-पिता को टीनएज बच्चों के बर्ताव और उनकी मन की बातों को समझना सिखाते हैं।

इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई आई काम
पल्लवी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके साथ ही उन्होंने एमबीए भी किया है। पल्लवी सालों तक मल्टिनेशनल कंपनी में काम कर चुकी हैं। उनके ससुर का शिक्षा से जुड़ा कारोबार था। पल्लवी ने ससुर की कंपनी आईसेक्ट में बतौर एग़्ज़िक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर ज्वाइन किया था। इसके बाद उन्होंने अपने नए-नए बिजनेस आइडिया से कंपनी के कारोबार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। अपनी इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई का बख़ूबी से इस्तेमाल कर उन्होंने नए-नए प्रयोग किये। सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर अपने काम को आम लोगों से जोड़ दिया। इस काम में उनके ससुर और उनके पति का उन्हें भरपूर सहयोग मिला।

दुनिया भर में बनी पहचान
प्री स्कूलिंग के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा से जुड़े पल्लवी के नवाचारों की गूंज भारत के अलावा कई देशों में सुनाई दे रही है। साल 2022 में उन्हें बिजनेस वर्ल्ड 40 अंडर 40 का अवॉर्ड मिला। 2022 में ही उन्हें मोस्ट आइकॉनिक एंड इन्सिपेरेशनल लीडर्स ऑफ़ इंडिया चुना गया। इस्तांबुल में आयोजित G-20 के शिखर सम्मेलन में युवा उद्यमियों के कार्यक्रम में वो स्पीकर रहीं। वो अर्ली चाइल्डहुड एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की एग़्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट हैं।
पल्लवी ने अपनी मेहनत और नई सोच से ये साबित कर दिया है कि भले ही रास्ते उन्हें विरासत में मिले लेकिन उस पर चल कर कामयाबी की इमारत उन्होंने अपने दम पर खड़ी की।