इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में आज की कहानी एक युवा वैज्ञानिक की है। वो युवा वैज्ञानिक जिसे सिर्फ़ भारत में ही नहीं दुनिया भर में सम्मान मिल रहा है। उनकी खोज को दुनिया सलाम कर रही है। बेहद कम उम्र में उन्होंने जो मक़ाम हासिल किया है वो काबिल-ए-तारीफ़ है। ये कहानी है मध्य प्रदेश की बेटी डॉ पल्लवी तिवारी की।
दुनिया के टॉप साइंटिस्ट में नाम
डॉ पल्लवी तिवारी अमेरिका की विस्कॉन्सिन-मेडिसन यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक और डिपार्टमेंट ऑफ़ रेडियोलॉजी और बायोमेडिकल में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
हाल ही में डॉ पल्लवी को साइंस एंड टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आविष्कार और पेंटेंट से जुड़ी शीर्ष संस्था NAI ने अपना सदस्य बनाया है। ये किसी भी वैज्ञानिक के लिए बड़े सम्मान की बात है। संस्था ने भी पल्लवी को अपना सदस्य बनाने पर खुशी जताई है।
ब्रेन ट्यूमर के इलाज में AI का इस्तेमाल
आज हम चैट जीपीटी और AI की बातें कर रहे हैं लेकिन डॉ पल्लवी ने साल 2015 में ही AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिये कुछ ऐसा कर दिखाया जिससे सारी दुनिया दंग रह गई। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ब्रेन कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी से लड़ने का तरीका खोज निकाला। उनकी इस खोज से ये बता चलता है कि कैंसर पीड़ित के इलाज के लिए कौन की थेरीपी कारगर है। इसके साथ ही इससे ये भी पता चलता है कि पीड़ित के जीवित बचने की गुंजाइश कितनी है। डॉ पल्लवी का ये शोध ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफ़ार्म यानी GBM के इलाज में मददगार साबित हो रहा है। इस नई तकनीक ये से भी पता चलता है कि ट्यूमर में कैंसर की कोशिकाएं मौजूद हैं या नहीं। GBM सबसे दिमाग में होने वाले कैंसर का सबसे ख़तरनाक स्वरूप है। डॉ पल्लवी के इस शोध से हर मरीज़ को उसकी बीमारी के मुताबिक इलाज मिलना संभव हो पाया है।
पल्लवी को सम्मान
डॉ पल्लवी ने अपने इस शोध के ज़रिये दुनिया भर के वैज्ञानिकों में अपनी एक ख़ास पहचान बना ली।अमेरिकी सरकार ने ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए की गई उनकी रिसर्च के लिए उनकी विशेष सराहना की। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने उन्हें यंग इन्वेस्टिगेटर अवॉर्ड से सम्मानित किया तो उनकी रिसर्च को 40 अंडर 40 के लिए भी चुना गया। भारत सरकार ने भी डॉ पल्लवी को 100 विमेन अचीवर्स में शामिल कर सम्मानित किया। डॉ पल्लवी को साल 2020 में जॉनसन एंड जॉनसन स्कॉलर अवॉर्ड मिला। जॉनसन एंड जॉनसन दुनिया की प्रसिद्ध कंपनी है और अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाली महिलाओं को ये अवॉर्ड देती है। इसमें डॉ पल्लवी को 3 साल की मेंटरशिप और भारतीय करंसी में लगभग 1.5 करोड़ रुपये दिये गये। उस वक़्त डॉ पल्लवी केस वेस्टर्न रिज़र्व यूनिवर्सिटी, क्लीवलैंड में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफ़ेसर थीं।
इंदौर में बीता बचपन
डॉ पल्लवी मूल रूप से मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली हैं। केंद्रीय विद्यालय से स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने श्री गोविन्दराम सेक्सरिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी से बायो मेडिकल में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वो आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गईं। पल्लवी के पिता मध्य प्रदेश जनसंपर्क के पूर्व संचालक थे जबकि उनकी मां स्वाती तिवारी प्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
पल्लवी की ये उपलब्धि ना केवल उनके घर-परिवार के लिए ख़ास है बल्कि पूरी मानव जाति के लिए वरदान है। उनकी खोज ब्रेन कैंसर से जूझ रहे लोगों के लिए आशा की एक बड़ी किरण है। एक उम्मीद है कि ब्रेन कैंसर जैसी बीमारी भी ठीक हो सकती है। उम्मीद है इंदौर की ये बेटी आगे भी अपने शोध और अपनी खोजों से मानव जाति का कल्याण करती रहेंगी।
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