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खेत-खलिहान

खेतों का डॉक्टर

वो बनना तो चाहते थे इंसानों के डॉक्टर लेकिन किस्मत ने उन्हें खेत और फसलों का डॉक्टर बना दिया। केवल 32 साल की उम्र में वो देश की कृषि क्रांति के नए प्रणेता बन चुके हैं। उन्होंने खेती के तरीक़े में बदलाव कर किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम किया है। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में हम आपको मिलवा रहे हैं एक युवा किसान आकाश चौरसिया से जो आज देश के दूसरे किसानों के लिए नज़ीर बन गया है।

डॉक्टर बनने की चाहत-बन गए किसान

आकाश मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले हैं। पढ़ने-लिखने में अव्वल आकाश डॉक्टर बनाने चाहते थे। वो लोगों को इलाज करना चाहते थे। वो जब भी इस बारे में सोचते उनके मन में बीमारियों की जड़ यानी कि खानपान आ जाता। आकाश की सोच गलत भी तो नहीं थी। आखिर जो हम खाते हैं वहीं तो हमारे शरीर को बनाता है। साल 2010 में उन्होंने PMT की परीक्षा भी दी लेकिन MBBS की सीट हासिल नहीं कर पाए। उनका चयन BDS के लिए हुआ। लेकिन आकाश BDS की पढ़ाई के लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने मेडिकल की तैयारी भी छोड़ दी। लेकिन उनके दिल-ओ-दिमाग में लोगों की सेहत और खान-पान से जुड़े सवाल बने रहे। इसी सोच और इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढने के लिए उन्होंने खेती करने का फ़ैसला किया।

पारंपरिक खेती से अलग चुनी राह

आकाश ने ये तो तय कर लिया कि वो किसान बनेंगे। लेकिन, उन्होंने साथ में ये भी तय किया कि वो खेती करेंगे कुछ हटकर। उन्होंने शुरुआत की मल्टी लेयर फार्मिंग की। आकाश एक खेतीहर परिवार से आते हैं। उनका परिवार सुपारी की खेती करता है। लेकिन, आकाश ने उसे ना चुनकर अपने लिए अलग रास्ता तय किया। आकाश के पास अपनी खेती के लिए ज़मीन भी नहीं थी। उन्होंने लीज़ पर ज़मीन लेकर अपना काम शुरू किया। लेकिन खेती से पहले काफ़ी पढ़ाई और रिसर्च की। खेती को बेहतर बनाने के उपायों को ढूंढा और फ़िर मल्टी लेयर फार्मिंग करने का फ़ैसला किया। इसकी शुरुआत उन्होंने टमाटर और करेले के साथ की। दो लेयर से शुरु हुई ये खेती आज कई लेयर्स तक पहुंच चुकी है।

क्या होती है मल्टी लेयर फार्मिंग

मल्टी लेयर फार्मिंग खेती करने का एक नया तरीक़ा है जो पुरानी पद्धति से बिल्कुल अलग है। मल्टीलेयर फार्मिंग में किसान एक ही ज़मीन पर एक साथ कई फसल उगाते हैं। मल्टीलेयर फार्मिंग में किसान एक साथ चार से पांच फसल उगा सकते हैं। इस तरह की खेती में पहली फसल ज़मीन के नीचे की परत में उगायी जाती है जैसे कि अदरक, हल्दी, मूली, गाजर। इसके बाद दूसरी फसल होती है जो ज़मीन की सतह पर होती है जैसे मेथी, पालक, धनिया। और, इसके बाद होती है बेल वाली फसल जैसे लौकी, करेला, खीरा आदि। और आखिर में होते हैं पपीते, आम या चीकू जैसे बड़े पौधे और पेड़ जो मल्टी लेयर फार्मिंग का सबसे लंबा भाग होता है।

मल्टी लेयर फार्मिंग के फायदे

आकाश ने जिस फार्मिंग पद्धति को अपनाया है उसके फ़ायदे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। आकाश बताते हैं कि मल्टी लेयर फार्मिंग एक साथ कई फसलों को देती है। इससे कम समय में ज़्यादा मुनाफ़ा होता है। फसलों की कई परतें पानी को सूखने से रोकती हैं। खुले मैदान की तुलना में लगभग 80 प्रतिशत पानी की बचत होती है। आकाश बताते हैं कि जहां एक खुले मैदान में एक फसल के लिए 100 लीटर पानी का उपयोग होता है, वहीं एक मल्टीलेयर खेत में चार फसलों के लिए उस पानी का केवल 30 प्रतिशत किया जाता है। खुले मैदान की तुलना में, लगभग 93 लीटर पानी की बचत होती है। चार तरह की फसलों से किसान को भी हर एक फसल से आय मिलती है। उदाहरण के लिए, मार्च से जुलाई तक पत्तेदार हरी सब्जियां, जैसे कि पालक से किसानों की अच्छी कमाई हो जाती है। अप्रैल से नवंबर तक, लाल लौकी की तरह लताएं फलती हैं। अगस्त में, अदरक जैसी अंडरग्राउंड फसल तैयार जाती हैं। वहीं, दिसंबर से जनवरी तक पपीते का पेड़ फल देता है। वह कहते हैं कि ऐसा एक भी हफ्ता नहीं है, जिसमें हमारी कमाई न होती हो। वह ज़ोर देते हुए कहते हैं कि यह मॉडल किसानों को आर्थिक रूप अधिक से स्वतंत्र बनाता है। आकाश इस मॉडल को तैयार करने के लिए बांस और लाठी का इस्तेमाल करते हैं जोकि इस खेती को और इकोफ्रेंडली बना देते हैं। खेत में बांस से मचान तैयार किये जाते हैं जिन पर लताएं फैल जाती हैं। ये लताएं फल देने के साथ-साथ नीचे वाली फसल को कड़ी धूप, तेज़ बारिश और ओलों से बचाती भी हैं।

सबको साथ लेकर चलते आकाश

आकाश अपनी खेती से सालाना 30 लाख रुपये का मुनाफ़ा कमा रहे हैं। इसके साथ ही वो उन सभी किसानों की मदद करने में जुटे हुए हैं जो आज भी परंपरागत खेती कर रहे हैं। वो किसानों को मल्टी लेयर खेती करना सिखाते हैं। इतनी कम उम्र में आकाश 80 हजार किसानों को पूरी ट्रेनिंग और 12 लाख अन्य लोगों को इसके बारे में शिक्षित कर चुके हैं। यहां तक कि उन्होंने सेना के जवानों को भी अपनी खेती से रू-ब-रू कराया है। आकाश ने इसके लिए अपना एक यूट्यूब चैनल भी बनाया है। साथ ही वो किसानों के लिए इसकी पढ़ाई से जुड़ी सामग्री भी उपलब्ध करवाते हैं। आकाश पौधों के लिए बेड बनाने , दवा तैयार करने और खेती के दूसरे सभी काम किसानों से खुद करवाते हैं। इससे सीखने आए किसान इस तकनीक को जल्दी और अच्छे से समझ लेते हैं। आकाश ने देशभर के किसानों को उनके इलाक़े की खूबियों और ख़ामियों के साथ इस खेती के गुर सिखाये हैं।

इतना ही नहीं, खेती के अलावा वो पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के लिए भी लगातार काम कर रहे हैं। आकाश को अब तक 20 से ज्यादा राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं।

कुछ नया, कुछ अलग, कुछ फायदेमंद करना और उससे तरक्की पाने के रास्ते तो कई पा लेते हैं लेकिन, आकाश उन विरले लोगों में से हैं जो इन रास्तों पर अकेले चलना नहीं पसंद करते। वो अधिक से अधिक किसानों को ये राह दिखा रहे हैं ताकि वो किसान भी तरक्की की राह पर आगे बढ़ सकें।