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धरती से

जल संरक्षण का युवा संकल्प

गिलास आधा खाली या आधा भरा हुआ? आपके नज़रिये पर निर्भर करने वाले इस विचार को एक नया अर्थ दिया है इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की आज की कहानी की नायक ने। गर्विता गुलाटी कहती हैं कि जब भी आप किसी को पीने के लिए पानी दे तो आधा गिलास ही दे। बात अटपटी लग सकती हैं। लग सकता है कि अरे ऐसा क्यों किसी को प्यास पूरे गिलास की लगी होगी तो। तो ऐसे में गर्विता का कहना है कि वो आपसे मांग लेंगे और पानी। लेकिन आधा गिलास पानी देने से आप अपने जीवन में कई लीटर पानी बर्बाद होने से बचा लेंगे।

गिलास हाफ फुलअभियान
बैंगलुरु की गर्विता की पानी को बचाने की मुहिम शुरू हुई साल 2015 जब देश में मॉनसून के अच्छे ना होने की वजह से पानी की किल्लत हुई। दरअसल गर्विता अपने परिवार के साथ कहीं घूमने गयी थी और वहीं उनके हाथ में पानी से भरी बॉटल देख एक बच्ची उनके पास आयी और पानी मांगने लगी। गर्विता को ये बात अजीब लगी। उन्होंने जब इस बारे में जानकारी जुटाई तो मालूम चला कि देशभर के लाखों लाख घरों के बच्चों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है। और, वहीं 14 लाख लीटर पानी लोग रेस्त्रां में अपने गिलास में यूं ही छोड़कर रोज़ाना बर्बाद कर रहे हैं। गर्विता ने इस परिस्थिति से समझौता ना करने और इसे बदलने की ठानी। गर्विता ने तय किया कि वो रेस्त्राओं में जाएंगी और उन्हें समझाने की कोशिशें करेंगी कि वो लोगों को आधा गिलास पानी देना ही शुरू करें। दसियों रेस्त्रां में जाने के बाद दो रेस्त्रां को ये बात समझ आयी और उन्होंने लोगों को आधा गिलास पानी देना शुरू किया। और अब इतने सालों के बाद एक लाख से अधिक रेस्त्रां उनकी इस मुहिम हैश टैग गिलास हाफ फुल मूवमेन्ट से जुड़ गये। ये रेस्त्रां इस प्रयास के बाद भी बचे हुए पानी को पौधों में डालने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

WHY WASTE मुहिम
इस मुहिम से लोगों को अधिक से अधिक जोड़ने के लिए ही गर्विता ने वाय वेस्ट की शुरुआत की। गर्विता ग्लोबल वाटर क्राइसिस को कम करना चाहती हैं और वाय वेस्ट उसमें बहुत ही प्रभावकारी तरीके से मदद कर रहा है।  गर्विता की ये मुहिम अब तक अपने साथ 6 सौ से अधिक स्कूलों अपने साथ जोड़ चुकी हैं। इस मुहिम का सकारात्मक असर ढाई लाख लोगों पर साफ़ नज़र भी आने लगा है। ये वो लोग हैं जो अब पानी को संरक्षित करने के बारे में सोचते हैं। जिन्होंने अपनी जीवनशैली में बदलाव किये हैं।

लोगों के लिए, लोगों के साथ 
गर्विता गुलाटी केवल जल संरक्षण में योगदान के लिए मिसाल नहीं  है। गर्विता लोगों को साथ जोड़ने और उनके साथ काम करने की भी मिसाल पेश कर रही हैं। अपनी मुहिम के लिए वो लोगों से मिलती हैं। टीम तैयार करती हैं। वो कहती हैं कि उनकी टीम में हरेक व्यक्ति अहम है, हरेक व्यक्ति लीडर है। गर्विता का कहना है कि किसी भी ऐसे कार्य को करने के लिए व्यक्ति में सहानुभूति का होना भी बेहद अहम है। बिना किसी का दर्द समझे आप कुछ नहीं कर सकते हैं। वाय वेस्ट संस्था के माध्यम से गर्विता लोगों को उनके कार्बन फुटप्रिन्ट काउन्ट करना भी सिखा रही हैं। वो छोटी छोटी बातों जैसे कि ब्रश करते वक्त नल को बंद रखना या आरओ से निकले पानी को पौधों में डालने जैसे उपाय भी बताती हैं। 


गर्विता के इस कार्य के लिए उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं। गर्विता एक युवा पर्यावरण प्रहरी हैं। जो इस समाज में बदलाव ला रही हैं। इंडिया स्टोरी गर्विता और उनके साथियों को उनके आने वाले कार्यों के लिए शुभकामनाएं देता है।