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चंपारण को चंपा अरण्य बनाने का महाअभियान

ISP ब्यूरो: वो दिन दूर नहीं जब बिहार का चंपारण फिर से चंपा अरण्य बन जाएगा और यहां हर घर-आंगन से गौरैयों की चहचहाहट सुनाई देगी। चंपारण को कुछ ऐसा बनाने के संकल्प के साथ काम कर रहे हैं हमारी आज की कहानी के नायक सुशील कुमार।

चंपारण को पुरानी पहचान दिलाने की कवायद

प्रकृति के लिए, पशु-पक्षियों के लिए, अपने गांव-शहर की बेहतरी के लिए सोचते तो बहुत से लोग हैं, लेकिन बहुत कम लोग ऐसे हैं जो इसे कर दिखाने का माद्दा रखते हैं। ऐसे ही हैं सुशील कुमार। नाम तो याद ही होगा। जी हां ये वही सुशील कुमार हैं जिन्होंने मशहूर टेलीविजन शो कौन बनेगा करोड़पति (KBC) में 5 करोड़ की रकम जीती थी। लेकिन आज सुशील कुमार अपनी पुरानी पहचान को पीछे छोड़ ना केवल अपनी एक नई पहचान गढ़ रहे हैं बल्कि अपने साथ-साथ ऐतिहासिक चंपारण की पुरानी पहचान भी लौटाने में जुटे हैं।

चंपा के फूलों से महकेगा चंपारण

बात साल 2018 की है। सुशील कुमार का नया घर बन रहा था। पिताजी ने कहा घर के दरवाज़े पर चंपा के पौधे लगाएंगे। बातचीत आगे बढ़ी तो उन्हें अहसास हुआ कि जिन चंपा के फूलों की वजह से चंपारण का नाम है वो तो अब यहां से ग़ायब हो चुके हैं। ये बात सुशील को ऐसा कचोटने लगी कि उन्होंने चंपा से चंपारण अभियान की शुरुआत कर डाली।

22 अप्रैल 2018 को पृथ्वी दिवस के मौक़े पर उन्होंने चंपा का पहला पौधा लगाया।

मुश्किलों को पार कर आगे बढ़ते गए सुशील

दुनिया ने देखा था कि कैसे KBC के मुश्किल से मुश्किल सवालों के आगे भी सुशील कुमार ने हार नहीं मानी थी, ठीक वैसे ही इस अभियान में भी उन्होंने हर बाधा को दूर किया। शुरुआत में कई तरह की परेशानियां आईं। घर-परिवार से लेकर समाज में लोगों ने सवाल उठाए, ताने दिये। पत्नी को भी लगा कि सुशील क्या करने लग गए, लेकिन सुशील कहां रुकने वाले थे। बाद में पत्नी को भी उनके काम की अहमियत समझ में आई। वहीं कई ऐसे भी थे जिन्होंने सुशील के इस अभियान में उनका शुरुआत से साथ दिया। उन्हीं के दम पर सुशील आगे बढ़ते गए।

सुशील के साथ आया समाज

सुशील कुमार अपने अभियान में लगे रहे और धीरे-धीरे कई लोग उनके साथ जुड़ते चले गए। शुरू में वो अपने पैसों से चंपा के पौधे ख़रीदकर लगाते थे, लेकिन बाद में लोगों ने पौधे दान करना शुरू कर दिये। एक शख्स ने तो उन्हें 25 हज़ार चंपा के पौधे दिये। शहर के कई कारोबारियों और संस्थाओं ने भी सुशील कुमार को सहयोग देना शुरू कर दिया।

आज पूरे चंपारण में वो 80 हज़ार से ज़्यादा चंपा के पौधे लगा चुके हैं। हर हफ़्ते सुशील मोतिहारी और आस-पास के इलाक़ों में चंपा के पौधे लगाने जाते हैं। इतना ही नहीं, हर महीने वो अपने लगाए पौधों को देखने भी जाते हैं। अगर कोई पौधा सूख गया तो उसके बदले वो दूसरा पौधा लगा देते हैं।

सुशील कुमार चंपा के पौधों के साथ-साथ वो ग्राम पंचायतों, स्कूलों, मंदिर परिसर, अस्पतालों की खुली जगहों पर अब तक 500 से अधिक पीपल, बरगद, आम, महुआ, नीम और पाकड़ के पौधे भी लगा चुके हैं।

गौरैया संरक्षण अभियान

कभी घर-आंगन में फुदकती-चहकती रहने वाली गौरैया का ग़ायब हो जाना सुशील कुमार को परेशान करने लगा। उन्होंने गौरैया को बचाने के लिए भी 20 मार्च 2019 को विश्व गौरैया दिवस के मौक़े पर अभियान की शुरुआत कर डाली। करीब 3 साल से वो लगातार गौरैया के लिए घोंसले लगा रहे हैं। इसमें भी उनके दोस्तों और जानकारों ने उनका साथ दिया। अब तक सुशील कुमार 6 हज़ार से अधिक घोंसले लगा चुके हैं। घोंसले के साथ-साथ पानी के लिए मिट्टी का बर्तन और धान की बाली भी लटकाते हैं।

इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट सुशील कुमार को बधाई और शुभकामनाएं देता है। उम्मीद है सुशील अपने मिशन में जल्द से जल्द क़ामयाब होंगे।