शायद ही कोई शख़्स होगा जिसे परिंदों की मीठी बोली ना भाती हो। उनकी चहचहाहट हमें प्रकृति के और नज़दीक ले जाती हैं। लेकिन आज पेड़ों के लगातार कटने से इन परिंदों के घोंसलों पर संकट आन खड़ा हुआ है और जब घोंसले ना होंगे तो परिंदे कैसे बचेंगे? ऐसी ही सवालों से जूझते हुए राजस्थान में नागौर के लोगों ने एक अनूठी शुरुआत कर डाली। ऐसा संकल्प को साकार कर दिखाया जिसने एक दो नहीं पांच हज़ार से ज़्यादा परिंदों को उनका आशियाना दे दिया। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी इंसान के इसी पक्षी प्रेम की।
परिंदों का अपॉर्टमेंट
नागौर के परबतरस की अब एक नई पहचान बन गई है। एक रंग-बिरंगा सात माले का अपॉर्टमेंट, जिसमें इंसान नहीं परिंदे रहते हैं। अपने आप में अनूठा ये असल का चिड़ियाघर है। कंक्रीट से बने इस अपॉर्टमेंट में 7 फ़्लोर हैं। 65 फीट ऊंचे इस चिड़ियाघर में हर फ़्लोर में अलग-अलग खांचे बनाए गए हैं। कुल मिलाकर इसमें 3 हज़ार से ज़्यादा पक्षियों के रहने की जगह तैयार की गई है। इतना ही नहीं पक्षियों के लिए वॉटर पूल का भी इंतज़ाम किया गया है। वैसे तो यहां इन पक्षियों के दाने की भी व्यवस्था है लेकिन यहां आने वाले लोग ख़ुद ही इन परिंदों के लिए रोज़ाना ख़ूब सारा दाना डालते हैं।
ट्रस्ट ने बनवाया चिड़ियाघर
नागौर के पीह गांव में बने इस परिंदों के आशियाने को अजमेर के चंचलदेवी बालचंद लुणावत ट्रस्ट से जुड़ी वर्धमान गुरु कमल कन्हैया विनय सेवा समिति के सदस्यों ने बनवाया है। इस समिति से गांव के क़रीब 20 युवा जुड़े हुए हैं। सेवा समिति ने इस बर्ड हाउस के अलावा बच्चों के खेलने के लिए एक पार्क और बुज़ुर्गों के लिए प्रार्थना कक्ष भी बनवाया है। पार्क में 400 पेड़-पौधे लगाए गए हैं। अजमेर मंडी से रोज़ाना 6 बोरी धान इन पक्षियों के लिए लाया जाता है।
ये चिड़ियाघर हज़ारों-हज़ार पक्षियों का सुरक्षित आशियाना बन गया है, जहां से उन्हें कोई नहीं निकाल सकता।
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