हम इंसानों ने जंगल काटे, हम इंसानों ने प्रकृति का संतुलन बिगाड़ा, हम इंसानों ने अपने फ़ायदे के लिए दूसरे जीव-जंतुओं को नुकसान पहुंचाया लेकिन अब उससे पैदा हुए हालात हम इंसानों के लिए ख़तरा बनते जा रहे हैं। हमारे आसपास का वातावरण एक गैस चैंबर में बदल रहा है जिसमें ऑक्सीजन नहीं बल्कि जानलेवा गैस भर रही हैं। अब इस बिगड़ते हालात को क़ाबू में करना भी हम इंसानों की ही ज़िम्मेवारी है। कई लोग हैं जो इस दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसी ही एक शख़्सियत हैं साक्षी भारद्वाज। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में आज की कहानी साक्षी भारद्वाज की।
साक्षी का संकल्प
भोपाल की रहने वाली साक्षी भारद्वाज कृषि विज्ञान की एसिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं। यूं तो बहुत से लोग अपने घरों में, बालकनी या आंगन में बागीचा लगाते हैं, पौधों के गमले रखते हैं लेकिन साक्षी ने इसे एक अलग आयाम दे दिया। उन्होंने 800 स्क्वॉयर फीट की जगह में ऐसा बागीचा विकसित किया जो एक अर्बन फॉरेस्ट यानी शहरी जंगल बन गया। एक ऐसा जंगल जो छोटी सी जगह में ही बड़े ऑक्सीजन प्लांट का काम कर रहा है। कई दिलचस्प ख़ूबियों से लैस साक्षी का ये जंगल लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कैसे तैयार हुआ साक्षी का ‘जंगलवास’
यूं तो साक्षी थोड़ी बहुत बागवानी शुरू से किया करती थीं लेकिन कभी इसे एक मुहीम, एक अभियान का रूप देने का नहीं सोचा था। 2018 में उन्होंने कुछ गमलों में पौधे लगाने शुरू किये। जब भी थोड़ा बहुत उन्हें समय मिलता वो उन पौधों की देख-रेख किया करतीं। धीरे-धीरे उन्होंने पौधों की संख्या बढ़ानी शुरू की और उनका होम गार्डन एक आकार लेने लगा। साक्षी ने उन पौधों को अपने गार्डन में जगह दी जो दूसरों पौधों की तुलना में ज़्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जन करते हैं। साक्षी के केवल 850 स्क्वायर फीट के इस अर्बन गार्डन में 450 प्रजातियों के 4000 से ज़्यादा पेड़-पौधे हैं। साक्षी ने कोरोना काल के दौरान इस गार्डन में ख़ूब मेहनत की और इसे एक जंगल का स्वरूप दे दिया। इसमें साक्षी को उनकी मां का भी पूरा सहयोग मिलता रहा। जब इस जंगल ने आकार ले लिया तब साक्षी को लगा कि इसे कोई नाम भी देना चाहिए। जंगल तो बहुत विशाल होता है लेकिन साक्षी का ये जंगल एक छोटे से क्षेत्र में बना हुआ था। जैसे एक वास यानी फूलदान में समाया हुआ, इसी वजह से साक्षी ने अपने इस जंगल को जंगलवास का नाम दिया।
जंगलवास की ख़ासियतें
850 स्क्वायर फीट का ये जंगलवास कई खूबियों से भरपूर है। इस शहरी जंगल में 450 किस्म के 4000 से ज़्यादा पेड़-पौधे हैं। इनमें से 150 प्रजातियां ऐसी हैं जो बहुत दुर्लभ हैं। यहां ब्राज़ील के अमेजन के जंगल से मंगवाया गया वेरिगेटेड मोस्टेरा डेलिगोसिया के अलावा फ्लोरिडा, इंडोनेशिया, थाइलैंड और फिलीपिन्स समेत कई देशों से मंगवाए पौधे शामिल हैं। साक्षी ने वर्टिकल गार्डन बनाने के लिए कच्चे नारियल के खोल का इस्तेमाल किया है। साक्षी बताती हैं कि नारियल के खोल प्लास्टिक की बोतलों का अच्छा और बेहतर विकल्प हैं। नारियल के खोल में पौधे लगाने पर उनमें ज़्यादा पानी देने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती। नारियल के खोल के रेशे पानी को लंबे समय तक टिकाये रखते हैं। साक्षी का कहना है कि नारियल के खोल से तैयार हुई वर्टिकल वॉल उस इलाक़े के तापमान को नियंत्रित रखने में भी मददगार साबित होती है।
वर्मी कम्पोस्ट और बायो-एंजाइम
अपने जंगलवास के लिए साक्षी ख़ुद ही खाद तैयार करती हैं। वो अपने जंगलवास में ही केंचुए की मदद से वर्मी कंपोस्ट बनाती हैं। इसके साथ ही घर की रसोई से निकलने वाले छिलकों और दूसरे पदार्थों से लिक्विड एंजाइम भी बना रही हैं। किसी भी पौधे को लगाने के लिए वो ख़ास उस पौधे के लिए मिट्टी तैयार करती हैं। उस पौधे की ज़रूरत के हिसाब से।
कीट-पतंगों और परिदों को मिला आशियाना
साक्षी का ये जंगलवास छोटे जीवों और पक्षियों का ठिकाना बन चुका है। इस शहरी जंगल में 10 से 12 तरह की तितलियां, घोंघे, टोड, मेढक और गिरगिट रहते हैं। साक्षी इन छोटे जीवों का बहुत ख़्याल रखती हैं। वो अपने जंगल में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं करती जिससे इन जीवों की जान पर ख़तरा बन आए। अलग-अलग मौसम में 10 से ज़्यादा तरह के पक्षी भी इस जंगलवास को अपना बसेरा बनाते हैं। साक्षी का ये जंगलवास पक्षियों के कलरव से गूंजता रहता है। शहर के शोर-शराबे में दिल को सुकून पहुंचाता है।
साक्षी को मिला सम्मान
साक्षी के इस शहरी जंगल ने उन्हें बहुत मान-सम्मान भी दिलाया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई मंत्रियों और नेताओं ने उनके काम की सराहना की है। इसके साथ ही OMG बुक ऑफ़ नेशनल रिकॉर्ड्स में जंगलवास को दर्ज किया गया। कई बड़े प्लेटफॉर्म्स पर साक्षी को जंगलवास की वजह से जगह मिली। वो यूनाइटेड नेशन्स के SDG क्लाइमेट एक्शन की ग्लोबल स्पीकर भी हैं। देश के कोने-कोने से लोग साक्षी को संपर्क करते हैं। सोशल मीडिया पर उन्हें फॉलो करते हैं, उनके काम की तारीफ़ करने के साथ-साथ उनसे प्रेरणा लेकर अपने-अपने घरों में इसी तरह के जंगल विकसित कर रहे हैं।
घर-घर जंगलवास का सपना
साक्षी सिर्फ़ अपने घर में जंगलवास बनाकर संतुष्ट नहीं हैं। वो चाहती हैं कि हर घर ऐसा ही हो ताकि पर्यावरण को बिगड़ने से बचाया जा सके। पानी बचाया जा सके, हवा और मिट्टी बचाई जा सके, ये धरती बचाई जा सके। इसी वजह से वो लोगों को इस तरह के बागीचे लगाने के लिए प्रेरित कर रही हैं। वो लोगों को बिल्कुल फ्री में वर्टिकल गार्डेनिंग, वर्मी कम्पोस्ट बनाना, लिक्विड एंजाइम बनाना, मशरूम उगाना जैसे कामों की ट्रेनिंग दे रही हैं। अपने काम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने जंगलवास का एक सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया है। वो मकानों-दफ़्तरों के रेनोवेशन के दौरान आर्किटेक्चर्स को छोटी जगह में जंगल गार्डन बनाने में मदद पहुंचा रही हैं। इसके साथ ही वो लोगों को उन पौधों की भी जानकारी देती हैं जो ज़्यादा ऑक्सीजन छोड़ते हैं। उनकी कोशिश है कि युवा और बच्चे उनके इस काम से जुड़ें, समझे और आगे बढ़ाएं ताकि आने वाले समय में हमें ऑक्सीजन ख़रीद कर सांस लेने की ज़रूरत ना पड़े।
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