वो एक प्रशिक्षित योग गुरू हैं। नई के साथ-साथ पुरानी पीढ़ी को भी योग से जोड़ रही हैं। योग को ना केवल करियर बनाया है बल्कि इसके ज़रिये संस्कार और संस्कृति को भी बचाने की कोशिश कर रही हैं। योग दिवस पर इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की आज की कहानी है एक ऐसी युवा योग प्रशिक्षक की जिन्होंने योग के आगे अपने अच्छे-ख़ासे करियर को छोड़ दिया। निहारिका गुमाश्ता मुंबई में रहती हैं। वो एक ट्रेन्ड योग गुरू हैं। योग करना निहारिका को पसंद तो था लेकिन उन्होंने कभी ये नहीं सोचा था कि एक दिन यही योग उनका करियर भी बन जाएगा। लेकिन निहारिका के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने उनकी पूरी ज़िंदगी ही बदल दी।
कंप्यूटर इंजीनियर से योग गुरू का सफ़र
निहारिका एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं। पढ़ाई के बाद उन्होंने एक्सेंचर और ओरेकल जैसी बड़ी आईटी कंपनियों में काम किया। अच्छी ख़ासी सैलेरी थी। आम तौर पर हम जिसे सेट होना कहते हैं, निहारिका का जीवन भी कुछ वैसा ही था। लेकिन, एक वक्त के बाद निहारिका को अंदर से यह महसूस होने लगा कि आखिर वो क्या कर रही हैं। जीवन में उन्हें कुछ नया करने की ललक जाग रही थी। इस दौरान उन्हें पीसीओडी की समस्या से भी दो चार होना पड़ा। निहारिका साथ ही साइनस से भी जूझ रही थी। उनकी दिक्कतें शारीरिक परेशानियों के चलते बढ़ गयी। मानसिक रूप से भी इसका गहरा असर उनके दिल-ओ-दिमाग पर पड़ रहा था। इसी दौरान निहारिका को एक योग शिविर के बारे में जानकारी मिली। कुछ अलग करने, सीखने की ललक निहारिका को उस ओर खींच ले गयी। और, अपनी शारीरिक और मानसिक परेशानी से निजात पाने के लिए निहारिका ने योग का रास्ता अपनाया। एक योग संस्थान में केवल 7 दिनों के कैंप ने निहारिका की ज़िंदगी बदल दी। अपने अंदर उन्होंने सकारात्मक बदलाव महसूस किया। एक नई ऊर्जा का संचार महसूस किया जिसने उन्हें इन मुश्किलों से लड़ने के लिए मज़बूती दी। उस कैंप के बाद निहारिका योग से जुड़ गईं। अपनी नौकरी और घर के काम के साथ-साथ योग का सफ़र जारी रखा। आख़िरकार 2013 में उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ कर पूरी तरह से योग का चुनने का फ़ैसला कर लिया। एक अच्छी नौकरी और सैलेरी को छोड़ने का फ़ैसला ले लेना आसान नहीं रहा। ऐसे फैसले कइयों को समझा पाना मुश्किल होते हैं। लेकिन निहारिका ने अपना रास्ता तय कर लिया था और फिर क़दम पीछे नहीं किये। योग और अपने आप पर विश्वास के दम पर वो आगे बढ़ती गईं।
योग का प्रशिक्षण
निहारिका ने योग को ही अपने जीवन का आधार बनाने का फ़ैसला कर लिया था लेकिन इसके लिए उन्हें और प्रशिक्षण की ज़रूरत थी। उन्होंने इसके लिए 1 साल का कोर्स ज्वाइन कर लिया। योग ने फ़िर असर दिखाना शुरू किया। निहारिका गर्भवती हो गईं लेकिन उन्होंने योग नहीं छोड़ा। प्रेग्नेंसी के दौरान भी वो बस और ट्रेन में सफ़र कर योग संस्थान जाती रहीं। हालांकि बच्चे के जन्म के बाद थोड़ा विराम लेना पड़ा। 2017 में उन्होंने योग के और प्रशिक्षण लिये और ख़ुद योग शिक्षिका बन गईं।
योग और निहारिका के प्रयोग
निहारिका ने जब योग सिखाना शुरू किया तो उसमें अपने अनुभवों को भी शामिल किया। अलग-अलग समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अपनी वर्कशॉप तैयार की। ऐसे आसनों को शामिल किया जिससे गर्भ धारण करने में आ रही दिक्कतें दूर हो सकें। गर्भवती महिलाओं के लिए ऐसे आसन जिससे उनके साथ-साथ गर्भ में पल रहे बच्चे का भी समुचित विकास हो सके। ऐसे आसन जिससे प्रसव के समय महिला को ज़्यादा तक़लीफ़ ना हो। निहारिका की वर्कशॉप में डिलिवरी के बाद होने वाले कमर दर्द से आराम दिलाने वाले योग भी शामिल हैं।
बहुत से लोग मोटापा घटाने के लिए योग का सहारा लेते हैं। ऐसे लोगों के लिए उन्होंने ख़ास तौर पर 4 स्तंभों को जोड़कर वर्कशॉप तैयार की है। इससे ना केवल उन्हें शारीरिक रूप से आराम मिलता है बल्कि मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। निहारिका के वर्कशॉप में बच्चों के लिए भी कई योगासन हैं। आज जब टीवी, मोबाइल, लैपटॉप जैसी चीज़ें बच्चों की सेहत और दिमाग पर गहरा असर डाल रही हैं, निहारिका अपने योग के ज़रिए इससे लड़ने में जुटी हैं। उनकी योग क्रियाएं बच्चों को इन चीज़ों के साइड इफ़ेक्ट से राहत देती हैं। अष्टांग योग से वो बच्चों में ना केवल योग की नींव को मज़बूत कर रही हैं बल्कि उनमें सकारात्मकता और संस्कार के बीज भी बो रहीं हैं।
ऑनलाइन-ऑफ़लाइन योग क्लासेज़
सोसायटी और कई जानकार निहारिका की योग क्लास का हिस्सा हैं। आम तौर पर वो अपनी बिल्डिंग की छत पर योग क्लास चलाती हैं। लेकिन कोरोना काल के दौरान उन्होंने ऑनलाइन योग क्लासेज़ भी शुरू कर दीं। उस समय जब लोग घरों में बंद थे और हर तरफ़ बीमारी का डर फ़ैला था निहारिका की योग क्लासेज़ ने सैकड़ों लोगों को शारीरिक और मानसिक मज़बूती दी। आज भी निहारिका की ऑनलाइन योग क्लासेज़ जारी हैं। इसके साथ ही वो You Tube और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी अपनी योगशाला के वीडियो और योगा टिप्स पोस्ट करती रहती हैं।
योग और आध्यात्म का रिश्ता
निहारिका योग को सिर्फ़ व्यायाम के तौर पर नहीं देखती हैं। वो इसे आध्यात्म से जोड़ती हैं। वो मानती हैं कि योग एक ऐसी अनुभूति है जो हमारे अंदर शारीरिक और मानसिक बदलाव लाता है। इंसान जब मानसिक रूप से प्रसन्न और स्वस्थ रहता है तो शरीर भी अच्छा होने लगता है। वो योग को जीवन जीने की कला बताती हैं। पिछले 5 सालों से वो लोगों में योग की अलख जगा रही हैं। निहारिका अपने योग के कर्म और धर्म क्षेत्र में इसी तरह आगे बढ़ती रहें।
इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की शुभकामनाएं उनके साथ हैं।
Add Comment