अंगराज कर्ण की कहानी तो आपने ज़रूर सुनी होगी। मान्यता है कि कर्ण से जिसने भी, जो भी मांगा उसे ज़रूर मिला। यहां तक कि कर्ण ने अपने कवच-कुंडल भी दान कर दिये थे। कर्ण को दानवीर कहा गया, महादानी कहा गया। लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसे दानवीर अब नहीं होते। आम तौर पर लोग जीवन भर काम करके जो पूंजी जुटाते हैं वो अपने बच्चों के लिए सहेज कर रखते हैं। अपनी ज़मीन-जायदाद अपनी संतानों के नाम करते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो अपनी करोड़ों-अरबों की संपत्ति समाजसेवा के लिए दान कर देते हैं। मुरादाबाद के एक मशहूर कारोबारी डॉ अरविंद कुमार गोयल ऐसी ही हस्ती हैं। इसलिए तो उन्हें कलियुग का दानवीर कर्ण कहा जा रहा है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी कलियुग के इसी कर्ण की
25 साल पुराना संकल्प पूरा किया
मुरादाबाद के रहने वाले डॉ अरविंद कुमार गोयल सिर्फ़ यूपी ही नहीं देश के जाने-माने कारोबारी हैं। 600 करोड़ से ज़्यादा केवल उनका कारोबार है। बेटे-बेटी का काम और कारोबार इसमें शामिल नहीं है। अरविंद गोयल ने पिछले 50 साल की मेहनत से ये संपत्ति जुटाई है। लेकिन अब अरविंद गोयल अपनी 600 करोड़ से ज़्यादा की ये सारी संपत्ति समाज सेवा के लिए दान देने जा रहे हैं। उन्होंने मुरादाबाद के डीएम से मिलकर इसका प्रस्ताव दिया। उन्होंने अपने पास सिर्फ़ एक बंगला रखा है जहां वो रहते हैं। डॉ अरविंद गोयल की चाहत है कि उनकी संपत्ति बेचकर जो रक़म हासिल हो उसे ग़रीब जनता की भलाई और बच्चों की शिक्षा के लिए ख़र्च किया जाए। अपनी संपत्ति दान कर डॉ अरविंद ने अपना 25 साल पुराने उस संकल्प को पूरा किया है जो उन्होंने एक ट्रेन में किया था। कड़कड़ाती ठंड में एक आदमी को नंगे पैर और सामान्य कपड़ों में ठिठुरते देख उसे अपनी चप्पल और कपड़े दे दिये थे। उसी घटना के बाद अरविंद ने ये तय किया था कि वो ज़रूरतमंद लोगों के लिए अपना सबकुछ दान कर देंगे। डॉ अरविंद गोयल के प्रस्ताव के बाद अब राज्य सरकार उनकी संपत्ति का आंकलन कर उसे नीलाम कराएगी।
समाजसेवा में बिता दी ज़िंदगी
भले ही आज डॉ अरविंद ने अपनी पूरी संपत्ति दान करने का फ़ैसला किया हो लेकिन वो पिछले 20 से भी ज़्यादा सालों से समाज के लिए लगातार काम कर रहे हैं। देश भर में वो 150 से ज़्यादा स्कूल चला रहे हैं जिसमें ज़रूरतमंद बच्चों को शिक्षा दी जाती है। मुरादाबाद के क़रीब 50 गांवों को उन्होंने कोरोना काल से ही गोद लिया हुआ है। उन्होंने कोरोना के समय गांव के सभी लोगों को खाना और दवाएं मुहैया करवाई। देश के कई राज्यों में उनके वृद्धाश्रम और अनाथाश्रम चलते हैं। ज़रूरतमंदों को कंबल, दवाएं और भोजन जैसी चीज़ें बांटना उनके नियमित कामों में शुमार है।
फ़ैसले में मिला परिवार का साथ
डॉ अरविंद ने जब अपनी संपत्ति दान करने का फ़ैसला किया तो उनके पूरे परिवार ने उनका साथ दिया। उनके बेटों का अलग कारोबार है जबकि बेटी का बरेली में स्कूल है। पूरा परिवार डॉ अरविंद के साथ समाजसेवा के काम में जुटा रहता है। पूरे परिवार के लिए समाजसेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
समाजसेवा के लिए सम्मान
डॉ अरविंद को राष्ट्रपति कलाम, प्रतिभा पाटिल और डॉ प्रणब मुखर्जी सम्मानित कर चुके हैं। इसके अलावा अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर जैसी हस्तियों से भी उन्होंने सम्मान हासिल किया है लेकिन उनके लिए कभी भी सम्मान हासिल करना मक़सद नहीं रहा। वो हमेशा नि:स्वार्थ भाव से ग़रीब-बेसहारा की सेवा में जुटे रहे। डॉ अरविंद गोयल जैसे लोग ही इस देश और समाज में मानवता के सबसे सच्चे सिपाही हैं। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट उनकी इस उपासना को नमन करता है।
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