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बंदे में है दम

साइकिल से स्वस्थ भारत का संदेश

अगर आपके जोश और जज़्बे के साथ जनता के लिए जागरूकता संदेश जुड़ जाए तो जीवन की दिशा ही बदल जाती है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट एक ऐसे ही शख्स की कहानी लेकर आया है। ये कहानी है भोपाल के रहने वाले प्रदीप कुमार ओरिया की। 49 साल के ओरिया साइकिल से भारत भ्रमण कर रहे हैं। इस भ्रमण में वो लोगों को जागरूक करने की भी कोशिश कर रहे हैं।

साइकिल से भारत भ्रमण

ज़रा सोचिये, भोपाल से कोई साइकिल चला कर अहमदाबाद पहुंच जाये या फ़िर उससे भी दूर, भारत के सुदूर दक्षिण कन्याकुमारी चला जाये। भोपाल से प्रदीप कुमार ओरिया एक नहीं, कई बार ऐसी दूरी नाप चुके हैं। पंचमढी, वाराणसी, अयोध्या, अहमदाबाद और कन्याकुमारी तक की यात्रा वो पूरी कर चुके हैं। कन्याकुमारी की यात्रा उन्होंने हाल ही में पूरी की है। लगातार 12 दिनों की यात्रा कर प्रदीप भोपाल से कन्याकुमारी पहुंचे। भोपाल से कन्याकुमारी की यात्रा में उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होते हुए वो तमिलनाडु पहुंचे।  

 

ढाबे बने रैन बसेरा 

प्रदीप अपने सफ़र में किसी होटल, धर्मशाला या किसी घर में नहीं रुकते। वो अपने साथ कई स्लीपिंग बैग रखते हैं। रास्ते में अंधेरा होने पर या थक जाने पर वो किसी ढाबे या पेट्रोल पंप पर रुक जाते थे। वहीं खाना खाकर स्लीपिंग बैग में सो जाते थे। ये उनकी यात्रा को एक नया अनुभव और लोगों से मिलने का अच्छा मौक़ा बन जाता है। इस दौरान लोग उनसे मिलकर उनकी यात्रा के बारे में बात करते हैं। प्रदीप भी उन्हें ना केवल अपनी यात्रा के बारे में बताते हैं बल्कि उन्हें अपनी यात्रा का मक़सद भी समझाते हैं। प्रदीप अपनी यात्रा के दौरान स्वस्थ भारत का संदेश देते हैं।   

साइकिल से शुरू से प्यार 

सेना में काम कर चुके प्रदीप फ़िलहाल भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड यानी भेल में टेक्निशियन के पद पर काम कर रहे हैं। प्रदीप का साइकिल से प्यार बहुत पुराना है। वो अपने सारे कामकाज साइकिल से ही निपटाते हैं। दफ़्तर जाना हो या बाज़ार, वो साइकिल का ही इस्तेमाल करते हैं। वो कहते हैं कि साइकिल चलाने से बेहतर कोई एक्सरसाइज़ नहीं है। इसके साथ ही साइकिल चलाना ना केवल स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देता है।   

दोस्तों के साथ शुरू हुआ लंबा सफ़र

प्रदीप का ये साइकिल प्रेम क़रीब 4 साल पहले एक मिशन में बदल गया। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ साइकिल से पचमढ़ी ट्रिप का प्लान बनाया। क़रीब 150 किलोमीटर की दूरी का ये ट्रिप पहाड़ी रास्तों से गुजरता है। इस ट्रिप के बाद तो प्रदीप अक्सर लंबी दूरी तय करने लगे। पचमढ़ी के बाद वो भोपाल से इंदौर चले गए। पहली ट्रिप के बाद वो अकेले ही चलने लगे। पहले तो घरवालों को थोड़ा डर लगता था। साइकिल से इतनी लंबी दूरी तय करना, वो भी अकेले, कोई मज़ाक नहीं है। लेकिन प्रदीप के हौसले को उन्होंने भी सम्मान दिया। पचमढ़ी, इंदौर, वाराणसी, कानपुर, अयोध्या, अहमदाबाद और कन्याकुमारी के बाद अब प्रदीप लेह-लद्दाख जाने की तैयारी कर रहे हैं।