Home » उम्मीदों का तालाब
बंदे में है दम

उम्मीदों का तालाब

कहते हैं कि इरादे बुलंद हों तो इंसान वो भी कर गुजरता है जो आमतौर पर नामुमकिन सा लगता है। ऐसे ही नामुमकिन काम को मुमकिन बनाया है छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के लोखंडी गांव की महिलाओं ने। हमारे समाज में यूं तो नारी को देवी का स्वरूप माना जाता है लेकिन हक़ीक़त में उन्हें पुरुषों से कमतर ही आंका जाता है। लेकिन लोखंडी गांव की 400 महिलाओं ने ये साबित कर दिया है कि वो ना केवल घर-परिवार को संभाल सकती हैं बल्कि समाज और पर्यावरण के लिए भी बड़े क़दम उठा सकती हैं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी लोखंडी गांव की इन्हीं नायिकाओं की।

30 दिन में तालाब ने लिया आकार

बात तब की है जब लोखंडी गांव को शहर के दायरे में शामिल कर लिया गया था। इसके साथ ही शांति और सुकून से चलने वाली गांव की ज़िंदगी में एक अजीब बदलाव आने लगा। ज़मीन की क़ीमत बढ़ने लगी और गांव की सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़े भी होने लगे। इसकी शिकार गांव की एक सरकारी ज़मीन भी होने लगी। ज़मीन पर अवैध निर्माण किये जाने लगे। गांव के लोग चुपचाप इसे देखते रहे लेकिन यहां की महिलाओं ने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी शुरू की। गांव की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने पहले तो अवैध कब्ज़े का विरोध किया। प्रशासन से शिकायत की लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने ख़ुद इसके ख़िलाफ़ बिगुल फूंक दिया। गांव की चार सौ महिलाओं ने कुदाल, फावड़ा और तगाड़ी उठा ली। ये महिलाएं रोज़ सुबह एक साथ उस ज़मीन पर पहुंच जाती और उस पर बने अवैध निर्माण को हटा, ज़मीन की सफाई शुरू कर देती। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर ये महिलाएं कर क्या रही हैं। दरअसल इन महिलाओं ने इस डेढ एकड़ की ज़मीन पर तालाब बनाने का फ़ैसला किया था। महिलाओं के इस संगठन और शक्ति को देखकर अवैध कब्ज़ा करने वाले भी पीछे हट गए। केवल 30 दिन में तालाब ने आकार लेना शुरू कर दिया और आज ये एक सुंदर मनमोहक तालाब में बदल चुका है।

गांव की बदल गई तस्वीर

वैसे तो लोखंडी गांव में पहले से भी कई तालाब थे, लेकिन इस तालाब की बात ही कुछ और थी। गांव के बीच बने इस तालाब ने पूरे इलाक़े में भूजल के स्तर को बढ़ा दिया। आम लोगों की ज़रूरतों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी अब पर्याप्त पानी मिलने लगा। पहले इंसानी ज़रूरतों की वजह से पशुओं को ठीक से पानी नहीं मिल पाता था। बारिश का पानी अब इस तालाब में भर जाता है। इससे वर्षा जल का भी संचय हो रहा है इसके साथ ही गांव में जल-भराव के हालात से भी लोगों को मुक्ति मिली है।

आय का साधन बना तालाब

इस तालाब का पूरा ज़िम्मा इस महिला समिति ने ही उठाया हुआ है। प्रशासन का भी उनको पूरा सहयोग मिल रहा है। पिछले साल मनरेगा के तहत इस तालाब का गहरीकरण कराया गया। अब इस तालाब में ये महिलाएं मछली और बत्तख पालन कर रही हैं। इस तरह ये तालाब अब महिला समिति की आय का भी ज़रिया बन गया है। इससे होने वाली आय का तीस फ़ीसद हिस्सा गांव के विकास में खर्च किया जाएगा।

पौधारोपण का संकल्प

तालाब निर्माण के बाद अब ये नारी शक्ति पौधारोपण अभियान चला रही हैं। इसमें ज़्यादा ऑक्सीजन उत्सर्जन करने वाले पेड़ों के साथ-साथ फलदार वृक्ष के पौधे लगाए जा रहे हैं। इससे एक तरफ़ हवा तो साफ़ होगी ही, साथ ही फलदार पेड़ों से मिले फल गांव की आय बढ़ाने में मददगार साबित होंगे।

कुपोषण के ख़िलाफ़ जंग

लोखंडी गांव की इस नारी शक्ति ने पूरे इलाक़े को कुपोषण से मुक्ति दिलाने का भी संकल्प लिया है। इसके लिए वो अपने और अपने आसपास के गांवों में जागरूकता फैला रही हैं। बच्चों और माओं को अच्छा और पौष्टिक खाना खिलाने पर ज़ोर दे रही हैं। एक छोटे से गांव की इन महिलाओं ने अपनी हिम्मत और जज़्बे के दम पर बड़ी मिसाल कायम की है। उम्मीद है कि इसी तरह की क्रांति, इसी तरह का बदलाव देश के दूसरे हिस्सों में भी आएगा।