दृष्टिबाधितों का जीवन आसान हो, उन्हें सामान्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं से जोड़ा जा सके, इसके लिए कई संस्थाएं और कई लोग काम कर रहे हैं। इसी क्रम में एक रेडियो स्टेशन की शुरुआत की गई है जो ख़ास तौर पर दृष्टिबाधितों को समर्पित है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट पर कहानी रेडियो अक्ष की।
राह बंद हुई तो खोजा समाधान
नागपुर का ब्लाइंड एसोसिएशन और समदृष्टि क्षमता एवं अनुसंधान मंडल दृष्टिबाधितों की शिक्षा के लिए सालों से प्रयासरत है। संस्था से कई दृष्टिबाधित जुड़े हैं जो शिक्षण सामग्रियों के लिए संस्था की मदद लेते हैं। वो अपनी डिवाइस पर ऑडियोबुक बनवाया करते हैं। इसमें पढ़ाई से जुड़ी समाग्रियां, सामान्य ज्ञान, रोचक विषय वस्तु और कई मनोरंजन के ऑडियो शामिल होते थे। लोग आते और अपने उपकरण में इन्हें फीड करवा कर चले जाते। बाद में अपनी सुविधा के अनुसार उनका इस्तेमाल करते लेकिन कोरोना ने इस क्रम को तोड़ दिया। संस्थान बंद हो गए। लोगों की आवाजाही रूक गई। ऐसे में दृष्टिबाधित छात्रों की पढ़ाई को बहुत नुक़सान हुआ। उन्हें नई शिक्षण सामग्रियां मिलनी बंद हो गई। ऐसे में संस्थान से जुड़े शिरीष दरवेकर ने इसका रास्ता खोजना शुरू किया।
कई जानकारों और इंटरनेट पर रिसर्च के बाद उन्हें इंटरनेट रेडियो की तकनीक का पता चला। इसके साथ ही एक भारतीय कंपनी का पता चला जो इंटरनेट रेडियो विकसित करने का काम कर रही थी। शिरीष ने उस कंपनी से संपर्क साधा। उनसे मदद मांगी गई। संस्था चाहती थी कि बच्चे चाहे गांव में ही क्यों ना रहे, उन्हें शिक्षण सामग्रियां आसानी से उपलब्ध हो सके। उनकी शिक्षा ना रुके। कंपनी मदद के लिए फ़ौरन तैयार हो गई। हालांकि कंपनी ने ये भी बताया कि उन्होंने कई इंटरनेट रेडियो तैयार किये हैं लेकिन दृष्टिबाधितों के लिए वो भी पहली बार काम करेंगे।
शुरुआत हुई रेडियो अक्ष की
फ़िर कंपनी की मदद से एक मोबाइल एप्लिकेशन तैयार किया गया। समदृष्टि क्षमता एवं अनुसंधान मंडल ने एक स्टूडियो तैयार किया और शुरू हो गया दृष्टिबाधितों के लिए पहला रेडियो स्टेशन। सबसे ख़ास बात ये है कि संस्थान ने रेडियो कंटेट बनाने के लिए 20 ऐसी महिलाओं की टीम तैयार की जो आम घरेलू कामकाजी महिलाएं थीं। जिनका रेडियो के कामकाज से कोई वास्ता नहीं था। संस्थान ने उन महिलाओं को ट्रेनिंग दी। प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग से लेकर एडिटिंग तक सिखाई गई। और फ़िर दृष्टिबाधितों के लिए ऑडियो बुक के तौर पर सामग्रियां प्रसारित की जाने लगीं। ये महिलाएं इस काम के लिए किसी तरह की फ़ीस या सैलेरी नहीं लेती। इसके कंटेंट बनाने में ख़ास ध्यान दिया जाता है। सामग्रियों के लेखन से लेकर उसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग को इस तरह किया जाता है कि दृष्टिबाधितों को वो आसानी से समझ में आ जाए।
इंटरनेट रेडियो एक ऐसा माध्यम है जो FM,SW या MW रेडियो स्टेशन्स से बिल्कुल अलग तकनीक पर काम करता है। इसकी कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती यानी सुदूर इलाक़ों में जहां रेडियो के सिग्नल भी ठीक से ना पकड़ पाएं वहां रहने वाले भी इस तकनीक का आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करना पड़ता है। ये प्ले स्टोर और एप्पल दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है।
दृष्टिबाधितों के लिए शुरू किये गए इस इंटरनेट रेडियो को बहुत कम समय में अच्छा रेस्पॉन्स मिल रहा है। उम्मीद है ये उन ज़रूरतमंदों की शिक्षा को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा।
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