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बंदे में है दम

रांची की रिया का नया मक़ाम

आज़ादी के 75 साल बाद भी देश के आदिवासी समाज को मुख्यधारा में नहीं देखा जाता लेकिन हक़ीक़त में ऐसा है नहीं। चाहे राजनीति हो या फ़िर खेल की दुनिया, आदिवासी समाज हमेशा अपनी उपस्थिति दर्ज कराता आया है। ये कारवां आगे बढ़ता जा रहा है और ये समाज और भी अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी कामयाबी का डंका बजा रहा है। इसी कड़ी में नया नाम जुड़ा है रिया तिर्की का जिन्होंने मॉडलिंग की दुनिया में अपना मक़ाम हासिल किया है।

मिस इंडिया में पहली आदिवासी महिला

कर्नाटक की सिनी शेट्टी ने फेमिना मिस इंडिया 2022 का ख़िताब जीता है। फर्स्ट रनर अप राजस्थान की रूबल शेखावत तो सेकेंड रनर अप यूपी की शिनाता चौहान रहीं। लेकिन इन सबके बीच विजेता ना होने के बाद भी एक नाम सुखियां बटोर गया। वो नाम है रिया तिर्की का। झारखंड की रहने वाली रिया भी फेमिना मिस इंडिया की दौड़ में थीं लेकिन वो टॉप 30 से आगे नहीं बढ़ पाईं। उनका टॉप 10 में सेलेक्शन नहीं हो पाया था। बावजूद इसके उन्होंने जो कामयाबी हासिल की है वो एक मिसाल बन गई है। उनसे पहले आज तक किसी आदिवासी लड़की ने इस प्रतियोगिता में ये मक़ाम हासिल नहीं किया है।

मिस विजयवाड़ा से शुरुआत

रिया रांची में तुपुदाना के बानो गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता एक बैंक में काम करते हैं। उन्होंने रांची के विवेकानंद विद्या मंदिर से पढ़ाई की है। आगे की पढ़ाई के लिए वो विजयवाड़ा चली गईं। यहीं मॉडलिंग के प्रति उनकी दिलचस्पी जागी। विजयवाड़ा के पीबी सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंस से पढ़ाई के दौरान साल 2015 में उन्होंने मॉडलिंग शुरू कर दी। इसी साल उन्होंने पहली बार फेमिना मिस इंडिया का ऑडिशन दिया था लेकिन तब उनका सेलेक्शन नहीं हुआ था। 2015 से लगातार 7 साल तक वो इसके लिए कोशिश करती रहीं। इस प्रतियोगिता के लिए उन्होंने कड़ी ट्रेनिंग भी ली। उन्हें कामयाबी मिली साल 2022 में, जिसमें वो टॉप 30 तक पहुंची।

ख़िताब नहीं मिलने से निराश नहीं

रिया फेमिना मिस इंडिया का ख़िताब नहीं जीत पाईं लेकिन इससे वो निराश नहीं हैं। वो आगे बहुत कुछ करना चाहती हैं। रिया चाहती हैं कि आदिवासी समाज के हर बच्चे को वो मौक़ा और सहूलियत मिले जो उन्हें मिली। किसी आदिवासी बच्चे को रंगभेद का शिकार नहीं होना पड़े। वो अपने समाज के उत्थान के लिए काम करना चाहती हैं। उन्हें पशु-पक्षियों से भी बहुत प्यार है। वो एक अच्छी बैडमिंटन प्लेयर भी हैं। अपने पिता की तरह उनका लगाव बैंकिंग और एथोलॉजी में भी है।

फ़िल्म में काम करने की इच्छा

रिया भले ही ये प्रतियोगिता नहीं जीत पाईं हो लेकिन मॉडलिंग की दुनिया में अब वो अपनी पहचान बना चुकी हैं। विज्ञापन के लिए उन्हें कई ऑफ़र मिल रहे हैं। इसके साथ ही वो फ़िल्मों में भी काम करना चाहती हैं। अगर वो फ़िल्मों में आती हैं तो ये भी एक अलग कामयाबी होगी।

मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित

रिया की इस कामयाबी से ना केवल उनके गांव-घर में जश्न मना बल्कि पूरे झारखंड में ख़ुशी मनाई गई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रिया से मुलाक़ात कर उन्हें सम्मानित किया और उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। रिया की ये कामयाबी सिर्फ़ उनके लिए एक उपलब्धि भर नहीं है। ये कामयाबी एक ऐसा दरवाज़ा खोल रही है जो अब तक देश के आदिवासी समाज के लिए बंद जैसा था। ये कामयाबी दिखा रही है कि जिसे आज तक हम केवल जंगल में रहने वाले समझा करते थे वो रैंप पर भी जलवे बिखेर सकते हैं। उम्मीद है कि रिया के नक्श-ए-क़दम पर चलते हुए और भी आदिवासी समाज के बच्चे आगे बढ़ेंगे।