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Insight बंदे में है दम

कमियां नहीं क़ाबिलियत पहचानिए

आज अंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस है। शारीरिक और मानसिक रूप से दिव्यांग होना किसी भी इंसान के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती होती है। ये चुनौती ना केवल उसके लिए होती हैं बल्कि उसके साथ-साथ उसके पूरे परिवार के लिए भी होती है। लेकिन जब कोई दिव्यांग अपनी मेहनत से किस्मत की लकीरों को बदल डालते हैं तो वो कहानी बन जाते हैं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट ऐसे ही तीन शख़्सियतों की कहानी लेकर आया है।

भोपाल ताज के ‘तीन सितारे’

 भोपाल के पाँच सितारा होटल ताज़ में तीन सितारे और जुड़ गये हैं। ये सितारे ना केवल होटल ताज की ख़ूबसूरती बढ़ा रहे हैं बल्कि इंसानियत और मेहनत के ताकाज़े को भी मजबूत बना रहे हैं। इन सितारों के नाम हैं शिवानी सेन, स्तुति और राहुल अहिरवार। भोपाल के होटल ताज के ये तीन नए कर्मी इन दिनों होटल की नई पहचान बन गये हैं।  

स्पेशल हैं ये तीनों बच्चे

 ये तीनों बच्चे बेहद ख़ास हैं। शिवानी और स्तुति दोनों ही लड़कियां डाउन सिण्ड्रोम से पीड़ित हैं तो राहुल बोल व सुन नहीं सकते हैं। डाउन सिण्ड्रोम और बोल-सुन नहीं पाने के बावजूद ये तीनों होटल में गेस्ट के स्वागत से लेकर दूसरे काम तक बड़ी कुशलता से कर रहे हैं। रोज़ होटल पहुंच कर दूसरे कर्मचारियों की तरह अपनी डिज़िटल अटेंडेस देते हैं। सलीके से तैयार होकर ड्यूटी शुरू करते हैं।

राहुल लॉबी के प्रवेश द्वार पर मेहमानों का स्वागत करते हैं, शिवानी और स्तुति अतिथियों को तिलक लगाती हैं, उनकी आरती कर उन्हें तुलसी की माला पहनाती हैं। स्तुति रिसेप्शन पर गेस्ट के पहचान पत्र को जमा करती हैं जबकि शिवानी उनकी जानकारी कम्प्यूटर में भरती हैं। तीनों स्पेशल किड्स को इतनी शालीनता और शिद्दत से काम करता देख मेहमानों के चेहरे भी खिल जाते हैं। क़रीब दो महीने पहले ये तीनों ताज परिवार का हिस्सा बने थे। होटल स्टॉफ़ इन तीनों को हॉस्पिटेलिटी की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इनके काम करने का अंदाज़ और इनका बर्ताव होटल स्टॉफ़ को भी बहुत भा रहा है। वो इन्हें अभी से ही स्टार एम्प्लाइज़ बुलाते हैं। 

‘आरुषि’ का बड़ा योगदान 

राहुल, स्तुति और शिवानी की इस कामयाबी के पीछे उनकी मेहनत के साथ-साथ ‘आरुषि’ का साथ भी है। ‘आरुषि’ दिव्यांग बच्चों की क्षमता को पहचान कर उसे एक सकारात्मक मोड़ देने और उन बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की दिशा में काम कर रही संस्था है। संस्था दिव्यांग बच्चों को स्पेशल ट्रेनिंग के ज़रिये ऐसे तैयार करती है कि वो बच्चे वो सबकुछ कर सकते हैं जो सामान्य बच्चे करते हैं। दिव्यांग बच्चों के लिए ‘आरुषि’ एक नई उम्मीद साबित हो रही है। फ़िलहाल ‘आरुषि’ में ऐसे एक सौ चालीस स्पेशल बच्चे हैं जिन्हें संस्था स्पेशल ट्रेनिंग दे रही है। यहीं राहुल, स्तुति और शिवानी ने भी प्रशिक्षण हासिल किया। इस संस्था में इन तीनों को ‘स्पेशल थ्री’ के नाम से जाना जाता है।  

सामाजिक दायित्व का अहसास ज़रूरी 

दिव्यांगों के लिए काम, विशेष प्रशिक्षण, सुविधाएं और उन्हें बराबरी का मौक़ा हमारे समाज का दायित्व है लेकिन वास्तविक तौर पर ये अभी बहुत दूर की कौड़ी है। दिव्यांगों को लेकर हमारे समाज का मन पूर्वाग्रहों से भरा हुआ है। उन्हें कमतर आंकने से लेकर उनका मज़ाक तक उड़ाने में लोग पीछे नहीं रहते। ‘आरुषि’ ना केवल इन बच्चों को प्रशिक्षण देकर उन्हें मुख्य धारा में लाने में जुटी है तो दूसरी तरफ़ इन बच्चों के ज़रिये वो समाज की मानसिकता भी बदलने की कोशिश में है। सुप्रसिद्ध गीतकार और फ़िल्म निर्देशक गुलज़ार भी ‘आरुषि’ से जुड़े हैं। वो इसे अपना दूसरा घर बताते हैं। वो ‘आरुषि’ के बच्चों के लिए दादू हैं। गुलज़ार के साथ ने इन बच्चों में हौसला, जज़्बा और जुनून पैदा किया है। गुलज़ार ने भी इन तीन बच्चों की ताज़ में नियुक्ति पर ख़ुशी जताई और ताज़ ग्रुप का शुक्रिया अदा किया। ‘आरुषि’ की इस मुहिम का ही परिणाम है कि राहुल, शिवानी और स्तुति ने एक नई शुरुआत की है। उम्मीद है कि आने वाले वक़्त में अपने हर स्पेशल बच्चे को हमारा समाज सचमुच स्पेशल बनाएगा।