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बंदे में है दम

ऐसे सरपंच को सलाम

मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव ने भोपाल से लेकर दिल्ली को संदेश दिया है, राह दिखाई है। ये राह है ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की। ये राह है अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने की। ये राह है एक जनप्रतिनिधि होने का फ़र्ज़ अदा करने की। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट लेकर आया है बुरहानपुर के एक छोटे से गांव झिरी के सरपंच की कहानी।

जनप्रतिनिधि का पूरा किया दायित्व

एक महिला के सुहाग की निशानी होता है मंगलसूत्र। कहते हैं महिला इसकी सुरक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरती है लेकिन बुरहानपुर की आशा विकास कैथवास ने इसे अपनी गांव की सुरक्षा के लिए गिरवी रख दिया। आशा ने कुछ दिनों पहले ही सरपंच का चुनाव जीता है। झिरी पंचायत में झिरी और झांझर गांव आते हैं। आम तौर पर चुनाव जीतने के बाद लोग जश्न में मशगूल हो जाते हैं, मिठाइयों और पार्टियों का दौर शुरू हो जाता है लेकिन झिरी में ऐसा नहीं हुआ। झिरी की नवनिर्वाचित सरपंच आशा कैथवास ने तो पद ग्रहण करने से पहले ही काम शुरू कर दिया।

पद ग्रहण से पहले ही CCTV लगवाए

आशा कैथवास चुनाव जीत चुकी थीं लेकिन प्रशासनिक प्रक्रिया बाक़ी थी। इधर आशा जिन मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ी थीं उसे लेकर वो जल्द से जल्द फ़ैसला लेना चाहती थीं। गांव की सुरक्षा उनकी प्राथमिकताओं में शामिल थी। दरअसल गांव के पास से गुजरने वाली इंदौर-इच्छापुर रोड पर अक्सर हादसे होते रहते थे और पता भी नहीं चलता था कि कौन सी गाड़ी टक्कर मार कर भाग गई। गांव में चोरी-चकारी से लेकर बच्चे का अपहरण तक हो चुका था। इसे देखते हुए आशा सुरक्षा के काम में कोई देरी नहीं चाहती थी। लेकिन तब तक फंड निकासी के लिए आशा के डिजिटल सिग्नेचर नहीं हुए थे। इसके बाद आशा ने फ़ैसला किया कि वो अपने गहने गिरवी रखकर गांव में CCTV कैमरे लगवाएंगी।

गांव की CCTV से निगरानी

आशा ने अपने मंगलसूत्र और मालाएं गिरवी रख दी। उससे मिले क़रीब 90 हज़ार रुपयों से गांव में 4 हाई-डेफ़िनेशन कैमरे लगवा दिये। ये कैमरे रात में भी काम करते हैं। आशा पंचायत भवन में अपने दफ़्तर में बैठकर इन कैमरों की मदद से अब गांव की निगरानी करती हैं। उम्मीद है कि इससे गाँव से गुजरने वाले हाईवे पर होने वाली दुर्घटनाओं पर निगरानी रखने के साथ चोरी, छेड़खानी और अपहरण की घटनाओं पर रोक लगेगी। इस तरह से एक नई नवेली सरपंच ने अपनी दूरदृष्टि और मजबूत इरादों के दम पर गांव को हाईटेक सुरक्षा से लैस कर दिया। ज़िले के एसपी ने भी आशा के इस काम की सराहना की।

गांव को खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य

आशा केवल दसवीं तक पढ़ी हैं लेकिन वो शिक्षा, स्वच्छता और सुरक्षा के महत्व को अच्छी तरह से जानती हैं। सुरक्षा के लिए उन्होंने गांव में CCTV कैमरे लगवा दिये। अब उनका लक्ष्य गांव को साफ़-सुथरा बनाना है, स्वच्छ बनाना है। इसके लिए उन्होंने गांव को खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का अभियान शुरू किया है। हर घर में शौचालय और लोग उसका इस्तेमाल करें, इस दिशा में आशा लगातार काम कर रही हैं।