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बंदे में है दम

सेकेंड इनिंग की ज़िंदगी

आम तौर पर रिटायरमेंट के बाद लोग अपनी ज़िंदगी ख़त्म मान लेते हैं। मानो नौकरी ही उनकी ज़िंदगी की धुरी हो लेकिन कई ऐसे भी ज़िंदादिल लोग हैं जो उम्र के इस पड़ाव का सही इस्तेमाल करते हैं। अपने उन ख़्वाहिशों और शौक़ को पूरा करते हैं जो पहले नौकरी के चक्कर में कहीं छूट गए थे। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट पर कहानी एक ऐसे ही कलाकार की जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद ना केवल कला के प्रति अपने जुनून को पूरा किया बल्कि देश के चौथे नागरिक सम्मान से नवाज़े भी गए।

बचपन के शौक़ को पूरा करने की ललक

उनका नाम करता सिंह सौंखला है। सन 1959 में हिमाचल प्रदेश में नादौन के टप्पा नारा में जन्मे करतार सिंह के दादा और पिता बढ़ई का काम करते थे। उन्हें देख करतार भी लकड़ी से कुछ ना कुछ नया बनाने की कोशिश किया करते थे। लकड़ी से वो कई कलाकृतियां बनाया करते थे लेकिन पढ़ाई की वजह से उनकी ये कला छूटती चली गई। 10वीं की पढ़ाई के बाद उन्होंने फार्मासिस्ट की पढ़ाई की। उन्हें एनआईटी हमीरपुर में फार्मासिस्ट की नौकरी लग गई। 1986 से 2019 तक उन्होंने यहीं अपनी सेवा दी। लेकिन उनकी नई ज़िंदगी की शुरुआत हुई मार्च 2019 में जब वो एनआईटी से रिटायर हुए। उन्होंने अपने रिटायरमेंट को एक मौक़े की तरह इस्तेमाल किया। वो मौक़ा जिसका इस्तेमाल उन्होंने बचपन में ही छूटे उनके कला प्रेम को फ़िर से जीवित करने के लिए किया।

कलाकृतियों के निर्माण का सिलसिला

करतार ने एक बार फ़िर अपने हुनर को निखारना शुरू कर दिया। उनकी बनाई लकड़ी और बांस से छोटी-छोटी कलाकृतियां लोगों का मन मोहने लगीं। फ़िर उन्होंने शीशे के बोतल में बांस की पतली खपच्चियों से एक कलाकृति बनाई। बस फ़िर क्या था। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक ऐसी कई कलाकृतियां बना डालीं। एक छोटी सी बोतल में इतनी सुंदर और अद्भुत कलाकृतियों को देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। देश के प्रसिद्ध मंदिरों, ऐतिहासिक धरोहरों और एफ़िल टावर से लेकर राजनेताओं तक की प्रतिकृति उन्होंने बोतल के अंदर उतार दी।

कलाकृतियों के लिए ख़ास तैयारी

करतार को अपनी कलाकृति बनाने के लिए बांस को ख़ास तौर पर तैयार करना होता है। उसे पूरी तरह सुखा कर उसके पतली-पतली खपच्चियां बनाई जाती हैं। इन्हें रंग कर अपनी कलाकृति के डिज़ाइन के हिसाब से मोड़ दिया जाता है। बारीक चिमटेनुमा औजार से इन खपच्चियों को बोतल के अंदर डाला जाता है और गोंद से चिपकाया जाता है। ये बहुत ही बारीक और धैर्य के साथ किया जाने वाला काम है। ज़रा सी हड़बड़ी पूरे डिज़ाइन को बर्बाद कर सकती है। घंटों की मेहनत के बाद तैयार होती है करतार की एक सुंदर सी कलाकृति।

करतार की कला को मिला सम्मान

करतार सिंह की अद्भत कला को ना केवल लोगों की प्रशंसा मिली बल्कि कई सम्मान भी मिले। साल 2021 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया। एशिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स ने उन्हें ग्रैंड मास्टर से नवाज़ा। इंडियन एक्सिलेंसी और इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स ने भी उनकी कलाकृतियों को सम्मान देते हुए उनका नाम दर्ज़ किया है।
करतार सिंह आज ना केवल उन लोगों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं जो रिटायरमेंट को अपनी ज़िंदगी का अवसान मानते हैं बल्कि उन युवाओं के लिए भी उम्मीद की एक किरण हैं जो राह में आने वाली बाधाओं की वजह से अपनी ख़्वाहिशों और अपने सपनों को पूरा करने का हौसला छोड़ देते हैं।