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खेत-खलिहान

कहानी एक संन्यासी की जो कृषि के नए अध्याय लिख रहा है

एक संन्यासी, एक स्वामी, एक धर्मगुरूइन शब्दों से जुड़े किसी इंसान के बारे में आम तौर पर आध्यात्म और धार्मिक कामों में जुड़े होने के विचार आते हैं लेकिन इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की आज की कहानी एक ऐसे संत की है जो कृषि क्रांति लाने में जुटा है।

माधव प्रकाश गुजरात के अहमदाबाद में स्वामीनारायण गौशाला के संचालक हैं। माधव स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़े हैं। धर्म और आध्यात्म से उनका जुड़ाव बचपन से ही है। संस्कृत में वेदांत आचार्य और MA तक की पढ़ाई कर चुके माधव आज कुछ अलग, कुछ नया करने में जुटे हैं।   गौशाला के संचालन के दौरान माधव का खेती-किसानी से नाता गहरा होता चला गया और इसी दौरान उन्होंने खेती के तौर-तरीकों में बदलाव की ज़रूरत महसूस हुई। उनका मानना है कि समय के हिसाब से खेती में भी बदलाव ज़रूरी है। इसके बाद उन्होंने फसल लगाने से लेकर सिंचाई तक की पद्धति में बदलाव करने शुरू कर दिये।  

इसी दौरान उन्होंने पाया कि सिंचाई के लिए इस्तेमाल किये जा रहे तरीके ना केवल खेती के लिए बल्कि ज़मीन के लिए भी सही नहीं हैं। उनके मुताबिक देश के ज़्यादातर हिस्सों में फ्लड इरिगेशन की तकनीक इस्तेमाल की जाती है फिर चाहे वो नहरों के ज़रिए हो या पंपिंग सेट के ज़रिए। इसमें पानी की बहुत ज़्यादा बर्बादी होती है। खेतों में फसल की ज़रूरत से करीब 10 गुना ज़्यादा पानी डाला जाता है। इसी तरह ड्रिप इरिगेशन और स्प्रिंकलर तकनीक के साथ भी समस्याएं हैं। टपक सिंचाई हर फसल में काम नहीं आ पाती और स्प्रिंकलर ज्वार-बाजरा जैसी ऊंची फसलों में बहुत प्रभावी नहीं है। इसके साथ ही इसमें भी काफी लंबा-चौड़ा सेट-अप लगाना पड़ता है। बाद में जब फसल तैयार हो जाती है तो कटाई के वक़्त भी इनकी वजह से दिक्कत आती है।  

परेशानियों से निकला बदलाव का रास्ता  

फसलों की सिंचाई में आ रही यही परेशानियां स्वामी माधव प्रकाश के लिए जैसे प्रकाश पुंज बन गई। अपने धुन के पक्के माधव ने सिंचाई की एक ऐसी तकनीक विकसित कर डाली जिससे सिंचाई बेहद आसान हो गई। ‘जल ही जीवन है’ के सिद्धांत को जीवन का मंत्र बनाने वाले स्वामी माधव ने इसे रोबोटिक ट्रैवल रेन गन का नाम दिया है।  

रोबोटिक ट्रैवल रेन गन  

सिंचाई की ये मशीन 300 मीटर तक का फासला तय करती है और अपने चारों तरफ के 70 मीटर के क्षेत्र पर पानी की बौछार कर करती है। ख़ास बात ये है कि इसे ऑपरेट करने के लिए किसी मैनपॉवर की ज़रूरत नहीं पड़ती। एक बार लगा देने के बाद ये ख़ुद ब ख़ुद पूरे इलाके की सिंचाई कर देता है। इस मशीन से सिंचाई के लिए ना तो खेतों में नालियां बनानी पड़ती है और ना ही कोई पाइप बिछानी पड़ती है। बस समय के हिसाब से इसे चलाना और बंद करना पड़ता है। रोबोटिक ट्रैवल रेन गन की और भी बहुत सी ख़ासियत है। इसे चलाने के लिए किसी तरह के ईंधन की ज़रूरत नहीं पड़ती और ना ही ये बिजली या सोलर सिस्टम से चलता है। इस रेन गन को लगाने के बाद किसानों को कड़कड़ाती धूप में या जमा देने वाले जाड़े में सिंचाई के लिए अपने खेतों में खड़ा रहने की ज़रूरत नहीं है।  

जल संरक्षण में कारगर है रोबोटिक ट्रैवल रेन गन  

बताया जाता है कि देश में 70 फीसदी पानी कृषि कार्यों में, 22 फीसदी उद्योग-धंधों में और 7 प्रतिशत पानी घरेलू कामकाज में ख़र्च किया जाता है। स्वामी माधव बताते हैं कि उनकी ये रोबोटिक ट्रैवल रेन गन सिंचाई में इस्तेमाल होने वाले पानी के ख़र्च को आधा कर देती है। इसके साथ ही सिंचाई में लगने वाला समय भी कम हो जाता है।  

दूसरे किसानों के लिए बने प्रेरणा   जब रोबोटिक ट्रैवल रेन गन का इस्तेमाल फ़ायदेमंद साबित होने लगा तो स्वामी माधव ने इसके बारे में आसपास के किसानों को भी बताया। उन्हें भी इस तकनीक के फ़ायदे समझाए। स्वामी माधव चाहते हैं कि हर किसान खेती के तरीकों में समय और ज़रूरत के हिसाब से बदलाव लाए ताकि जल और ज़मीन दोनों सुरक्षित रहे, क्योंकि वो जानते हैं कि जब तक जल और ज़मीन है तभी तक खेती है, तभी तक इंसान है।