बिहार की एक बच्ची की चर्चा आज हर किसी के ज़ुबान पर है। 14 साल की इस बच्ची ने CBSE बोर्ड की परीक्षा में धूम मचा दी है। 10वीं की परीक्षा में उन्होंने पूरे बिहार में पहला स्थान हासिल किया है। वैसे तो नंबर ही ज़िंदगी में सबकुछ नहीं होते लेकिन इस बच्ची की पढ़ाई और छोटी सी उम्र में उसका जीवन संघर्ष और शिक्षा में उसकी उपलब्धि ना केवल बहुत बड़ी है बल्कि बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी प्रेरणा देने वाली है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी उसी बच्ची की।
मां का साथ छूटा-पिता ने नाता तोड़ा
10वीं पास कर चुकी श्रीजा तब केवल UKG में पढ़ती थीं। छोटी बहन के जन्म लेते ही मां दुनिया छोड़ कर चली गईं। मां का जाना किसी भी इंसान के लिए बहुत बड़ा सदमा होता है और श्रीजा तो बस 3 साल की थी। लेकिन किस्मत ने उसे इतना ही दर्द नहीं दिया। मां की मौत के चंद दिनों बाद ही पिता ने अपनी दोनों बेटियों से नाता तोड़ने का फ़ैसला किया। श्रीया और उसकी दुधमुंही बहन को उनकी नानी के घर छोड़ कर चले गए। कुछ दिनों बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली और तब से आज तक इन दोनों बेटियों का मुंह तक नहीं देखा।
ननिहाल में मिला भरपूर प्यार
मां का साया सिर से उठ गया और पिता छोड़ कर चले गए लेकिन नाना-नानी ने दोनों बच्चियों को बेटी की अमानत, बेटी की निशानी मान कर पाला। ना केवल पाला बल्कि उनपर ख़ूब प्यार बरसाया। दोनों मामा और दो मौसियों से मां जैसी ममता मिली। मौसा जी से लाड़ मिला। इस प्यार के अलावा दोनों बहनों को अच्छी शिक्षा भी दी। नानी कृष्णा देवी की देखरेख में दोनों बहनों की पढ़ाई चली। बचपन से ही पढ़ाई में तेज़ श्रीजा हमेशा क्लास में अव्वल आती थीं।
बिहार में अव्वल श्रीजा
श्रीजा ने दसवीं की परीक्षा के लिए जी-तोड़ मेहनत की। वो कहती हैं कि उन्होंने कभी समय नहीं देखा। दिन हो या रात वो हमेशा पढ़ने में जुटी रहती थीं। उनकी नानी कृष्णा देवी बताती हैं कि देर रात तक पढ़ाई करने पर वो अक्सर श्रीजा को डांटा भी करती थीं। श्रीजा को उम्मीद थी कि वो दसवीं की परीक्षा में अपने स्कूल की टॉपर बनेंगी लेकिन जब रिज़ल्ट आया तो वो स्कूल नहीं बल्कि पूरे बिहार की टॉपर बन गईं। इस ख़बर को सुनकर पूरे परिवार में जश्न मनाया जाने लगा। मिठाइयां बंटी, केक काटे गए। नाते-रिश्तेदारों और जानकारों के इतने बधाई संदेश आए कि फ़ोन उठाना तक मुश्किल हो गया। श्रीजा ने CBSE बोर्ड की परीक्षा में 99.4% नंबर हासिल किये हैं। विज्ञान और संस्कृत में पूरे नंबर और गणित, इंग्लिश और एसएसटी में 100 में से 99।
IIT करना है लक्ष्य
श्रीजा ने अपने ही स्कूल से 12वीं करने का फ़ैसला किया है। 12वीं के बाद वो IIT की तैयारी करेंगी। इंजीनियरिंग करना उनका लक्ष्य है। हालांकि घर में कई लोग उनसे यूपीएससी की तैयारी करने की भी सलाह दे रहे हैं। श्रीजा कहती हैं कि वो एक बार यूपीएससी की परीक्षा भी ज़रूर देंगी। वो कहती हैं कि उन्हें सिर्फ़ पैसे कमाने वाली नौकरी नहीं करनी है। उन्हें ऐसी नौकरी करनी है जिससे वो लोगों के लिए कुछ काम कर सकें।
नानी की आंखों में खुशी के आंसू
श्रीजा की इस कामयाबी पर घर में हर कोई खुश है लेकिन सबसे ज़्यादा खुशी उनकी नानी है। नानी की बातों से ऐसा लगता है जैसे किसी की बरसों की तपस्या सफल हो गई हो। वो कहती हैं कि मुश्किलें आई, तक़लीफ़ें आईं लेकिन भगवान हमेशा उनके साथ रहे। उनकी मुश्किलें आसान करते रहे। बात करते-करते वो अक्सर रो देती हैं। अपनी बेटी उन्हें बार-बार याद आती हैं और याद आता है श्रीजा के पिता का उन्हें छोड़ कर जाना। वो ग़ुस्से और कोफ़्त से भर जाती हैं। कहती हैं श्रीजा चाहे इंजीनियर बने या कुछ और, लेकिन उस शख़्स को दिखा दे जिसने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया था। नानी का कहना है कि श्रीजा के बाद अब वो उनकी छोटी बहन को भी इसी तरह कामयाब बनाएंगी। हालांकि श्रीजा के मन में पिता के छोड़ने का कोई मलाल नहीं है। वो कहती हैं कि उन्हें कभी पिता याद भी नहीं आते।
बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं श्रीजा
श्रीजा पढ़ाई में अव्वल तो हैं ही, साथ-साथ वो कथक के 5वें साल में हैं। वो कविताएं लिखती हैं, कहानियां लिखती हैं। क़िताबें पढ़ना उन्हें ख़ूब पसंद आता है। श्रीजा अपनी इस कामयाबी पर खुश तो ज़रूर हैं लेकिन वो इससे आगे बढ़ना चाहती हैं। वो चाहती हैं कि भविष्य की परीक्षाओं में भी वो अपनी मेहनत के दम पर कामयाबी हासिल करें और अपने नाना-नानी का सपना पूरा करें। श्रीजा का ये जज़्बा और उनकी ये मेहनत एक नज़ीर बन चुकी है। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट श्रीजा को उनके भविष्य के लिए शुभकामनाए देता है।
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