94 साल की उम्र में भी ये महिला दौड़ लगाती हैं, गोले फेंकती हैं और मेडल भी जीतती है। देश ही नहीं विदेश तक में उन्होंने गोल्ड मैडल जीते हैं। एक-दो नहीं कई टूर्नामेंट में झंडे गाड़ चुकी इस बुज़ुर्ग एथलीट को लोग इसलिए सुपर दादी बुलाते हैं। आइये इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में आज आपको मिलवाते हैं इसी दिल्ली के नज़फ़गढ़ की रहने वाली सुपर दादी यानी भगवानी देवी डागर से।
संघर्षों से मिली सफलता
भारत की स्प्रिंटर दादी यानी भगवानी देवी डागर ने एक बार फिर कमाल कर दिया है। 94 साल की उम्र में उन्होंने देश के लिए 3 गोल्ड मेडल जीते हैं। उन्होंने यह मेडल पोलैंड में आयोजित हुई नौवीं वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स इनडोर चैंपियनशिप 2023 में हासिल किए हैं। भगवानी देवी को बचपन से ही खेलकूद का शौक रहा है। लेकिन, अपनी ज़िम्मेदारियों के चलते वो धीरे-धीरे इससे दूर होती चली गयी। भगवानी देवी बचपन में कबड्डी खेलती थीं। उनके जीवन की शुरुआत संघर्षों से भरी रही। वे जब 29 साल की थीं तो उनके पति विजय डागर की मौत हो गई। इसके बाद उनकी 11 साल की बेटी भी दुनिया छोड़ गई, जिससे उन्हें जीवन में निराशा ने घेर लिया था। जीवन के इन संघर्षों से जूझते हुए उन्होंने उस समय अपने बेटे हवा सिंह डागर पर ध्यान दिया। जब इंसान ऐसी विकट परिस्थिति से जूझ रहा हो तो भला खेल जैसी चीज़ों का ध्यान किसे रहेगा। भगवानी देवी भी अपने परिवार को बटोरने और संभालने में जुट गईं।
पोते ने खेलने के लिए किया प्रेरित
भगवानी देवी ने अपनी आधी उम्र परिवार की देखभाल में लगा दी। बेटे की शादी हुई। इसके बाद उनके जीवन में फिर बदलाव आया। उन्होंने जब अपने पोते विकास को खेलते देखा तो उनका यह सपना फिर जीवित हुआ। वो ख़ुद बताती हैं कि उनके पोते विकास ने उनके हाथ में लोहे की गेंद रख दी और कहा कि देखो दादी कितनी भारी है। इसके बाद मन में ख़याल आया कि क्यों न मैं भी इसकी प्रैक्टिस करूं। अगले ही दिन उन्होंने सुबह 5 बजे अपने पोते से वह गेंद मांगी और पहुंच गईं प्रैक्टिस करने। विकास तब से लेकर अब तक अपनी दादी के साथ हैं।
परिवार का पूरा साथ
भगवानी देवी डागर के पोते विकास के साथ-साथ उनके पूरे परिवार ने उनका साथ दिया। उनका परिवार उनके खाने-पीने का पूरा ध्यान रखता है। साथ ही इस बात का भी कि उनकी प्रैक्टिस में कोई कमी ना आये। भगवानी देवी हफ़्ते में तीन दिन एक-एक घंटे के लिए ककरौला स्थित स्टेडियम में अपने पोते विकास के साथ प्रैक्टिस करती हैं। उनके परिवार में बेटा हवा सिंह डागर, बहू सुनीता, पोता विकास डागर, विनीत डागर, नीतू डागर के अलावा परपोता निकुंज डागर, अर्नित डागर और विश्वेन्द्र हैं। साथ में 2 पुत्रवधुएं सरिता डागर और ज्योति डागर भी हैं। सभी अपनी सुपर दादी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
कमाल की दादी
हाल ही में भगवानी देवी डागर ने पोलैंड में चल रही प्रतियोगिताओं में 60 मीटर दौड़, डिस्कस थ्रो और शॉटपुट में 3 स्वर्ण पदक जीते हैं। इससे पहले उन्होंने टाम्परे में आयोजित विश्व मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022 में 100 मीटर स्प्रिंट प्रतियोगिता में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। इस प्रतियोगिता में उन्होंने 100 मीटर की रेस 24.74 सेकेंड में पूरी की। इस चैंपियनशिप में दादी ने न केवल रनिंग में यह कमाल दिखाया है बल्कि उन्होंने गोला फेंक और डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
भगवानी देवी डागर ने ये साबित कर दिया है कि अगर दिल में जज़्बा हो, हौसले बुलंद हों तो उम्र वाकई केवल नंबर है।
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