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बंदे में है दम

स्वप्निल सोनी: द मंकी मैन

इंसान अपने कथित विकास के नाम पर जंगलों की बलि चढ़ा रहा है। इसके साथ ही बलि जंगल में रहने वाले सैकड़ों-हज़ारों जीव-जंतुओं की भी ली जा रही है जो इन जंगलों के बाशिंदे हैं। इनमें से कई मारे जाते हैं तो कई रिहायशी बस्तियों की तरफ़ चले आते हैं। इंसान और जंगली जानवरों के संघर्ष का मुख्य कारण जंगलों में इंसानों का अतिक्रमण ही है। जो जंगल बचे भी हैं वहां जानवरों के लिए खाने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं, यहां तक कि कई जंगलों में तो पानी तक नहीं बचा है लेकिन इस स्थिति में भी कई ऐसे लोग हैं जो इन जानवरों से प्यार करते हैं। उनकी देखभाल करते हैं, उनकी ज़रूरतों का ख़्याल रखते हैं। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट ऐसे ही एक शख़्स की कहानी लेकर आया है जिन्हें लोग मंकी मैन के नाम से जानते हैं।

जीना इसी का नाम है

उनका असल नाम स्वप्निल जोशी है पर लोग उन्हें मंकी मैन के नाम से जानते हैं। अहमदाबाद के पास के जंगल में उन्हें अक्सर लोग लंगूरों के बीच बैठा देख सकते हैं। उन्हें पहली बार लंगूरों के बीच देखकर कई लोग हैरत में भी पड़ जाते हैं। उनके आसपास एक-दो नहीं पांच सौ ज़्यादा लंगूरों की फौज रहती है। कुछ उनकी गोद में बैठ जाते हैं, कुछ उनके स्कूटर पर कब्ज़ा कर लेते हैं। स्वप्निल हर हफ़्ते इन लंगूरों के लिए खाने का सामान लेकर जाते हैं। कभी सेब, कभी केले, कभी बिस्कुट तो कभी कोई और फल। इन फलों को लेकर स्वप्निल जंगल में बैठ जाते हैं और ये पांच सौ लंगूर उन्हें घेर लेते हैं। छीना-झपटी के लिए कुख़्यात ये लंगूर यहां बेहद शांत नज़र आते हैं। फल लेने से लेकर खाने तक में वो कभी छीना-झपटी नहीं करते। स्वप्निल अपने हाथों से इन लंगूरों को फल पकड़ाते हैं और वो उन्हें लेकर बड़े प्यार से, बड़े चाव से खाते हैं।

20 साल से भी ज़्यादा समय से सेवा

स्वप्निल की लंगूरों की ये सेवा पिछले 20 साल से भी जारी है। इस नेक काम में स्वप्निल का पूरा परिवार भी शामिल है। उनकी पत्नी, उनकी बेटी और बेटा भी उनके साथ लंगूरों को खाना खिलाने जाते हैं। हर हफ़्ते इन लंगूरों के लिए अपने घर में 1700 रोटियां बनवाते हैं और फ़िर उन्हें लेकर इन लंगूरों के बीच जाते हैं। अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि सोनी परिवार ने लंगूरों के लिए खाना नहीं पहुंचाया हो। साल 2018 में एक समय ऐसा भी आया था जब उनका परिवार आर्थिक संकट में डूब गया था। उस मुश्किल दौर में भी स्वप्निल ने एफडी तोड़ कर पैसे जुटाए और लंगूरों के खाने का इंतज़ाम किया।

रामभक्त हनुमान के भक्त हैं सोनी

स्वप्निल पवनसुत हनुमान के अनन्य भक्त हैं। वो कहते हैं कि मुश्किल की घड़ी में भी उन्होंने लंगूरों-बंदरों के लिए सेवा जारी रखी और हनुमान जी ने उनकी परेशानी दूर कर दी। आज ये लंगूर स्वप्निल की गाड़ी का इंतज़ार करते हैं। जैसे ही स्वप्निल की गाड़ी उन्हें आती दिखती है सारा कुनबा इकट्ठा होकर शोर मचाने लगता है मानो सब खुशी में उनका स्वागत कर रहे हों।

इंसानियत का धर्म निभा रहे स्वप्निल कहते हैं कि उनके बाद उनके बेटे-बेटी लंगूरों को खाना खिलाते रहेंगे।