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बंदे में है दम

मन को तंदुरुस्त रखने की कोशिश

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हम कितने गंभीर हैं? देश में ख़राब मानसिक सेहत से आज भी लाखों लोग जूझ रहे हैं लेकिन हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य की तो बात करते हैं लेकिन मानसिक सेहत पर बात करने या अपनी परेशानी बताने से कतराते हैं। महिलाओं और बच्चों को लेकर तो ये स्थिति और गंभीर हो जाती है। कई तरह के अवसादों से जूझ रही महिलाएं और बच्चे किसी से अपनी बात साझा तक नहीं कर पाते। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट पर कहानी उन दो महिलाओं की जिन्होंने इसी हालात के जाल को तोड़ने का फ़ैसला किया और फ़िर नींव रखी कनेक्टेड की।

रितु-रजनी का ‘कनेक्टेड’ 

कनेक्टेड की परिकल्पना और फ़िर उसकी शुरुआत की रितु भारद्वाज और रजनी सेन ने। बात साल 2019 की है। इसी साल ये दोनों दूसरी बार मां बनी थीं और पोस्ट पार्टम डिप्रेशन से जूझ रही थीं। एक जैसी स्थिति होने की वजह से दोनों आपस में उन बातों को साझा कर पा रही थीं जो वो अपने परिवारवालों को नहीं समझा-बता पा रही थीं। दोनों ने महसूस किया कि महिलाओं की ऐसी स्थिति पर बात होनी ज़रूरी है। उनके अंदर की भावनाओं को बाहर निकालना ज़रूरी है। इसी मक़सद से रितु और रजनी ने महिलाओं से कनेक्ट करना शुरू किया और अपनी इस कोशिश का नाम रखा कनेक्टेड।

 

पोस्ट पार्टम डिप्रेशन से जंग 

कनेक्टेड के ज़रिये रितु और रजनी ने पहले उन महिलाओं को साथ जोड़ा जो मां बनने के बाद डिप्रेशन से जूझ रही थीं। दोनों इस परेशानी को अच्छे से समझती थी। उनका अपना अनुभव इसमें उनके बहुत काम आया। कनेक्टेड के माध्यम से उन्होंने उन महिलाओं के साथ चर्चा शुरू की। कई तरह के टॉक शो किये। इससे जुड़ कर महिलाओं ने अपना दर्द, अपना अनुभव साझा किया। बताया कि मां बनने के बाद उनकी मानसिक स्थिति में क्या-क्या बदलाव आए। बताया कि बच्चे के जन्म के बाद उन्हें ख़ुशी के बजाय उदासी ने घेर लिया। हंसने-खिलखिलाने के बदले हमेशा उनका मन रोने का करने लगा। कनेक्टेड से जुड़ कर जहां इन महिलाओं ने अपने अंदर दबी बातों को बाहर निकाल कर अपने मन को हल्का किया, वहीं इस दौरान कई डॉक्टरों, मनोचिकित्सकों और थेरेपिस्ट को भी साथ जोड़ कर रितु और रजनी ने इन महिलाओं को अवसाद की स्थिति से बाहर निकालने के लिए तरीके और उपायों पर भी चर्चा की। कनेक्टेड से जुड़ने वाली कई महिलाओं को इससे बहुत फ़ायदा हुआ।

ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा 

पोस्ट पार्टम अवसाद की तरह मानसिक सेहत से जुड़ी ऐसी कई अहम बातें हैं जिनकी कभी चर्चा तक नहीं होती। कई बार इन परेशानियों से जूझने वाला शख्स भी इससे अनजान रहता है, परिवार की तो बात ही छोड़ दीजिए। कनेक्टेड के ज़रिये रितु और रजनी ने सिर्फ़ पोस्ट पार्टम ही नहीं मानसिक अवसाद की इन परेशानियों को भी सामने लाने और उनसे लड़ने का फ़ैसला किया। मांओं की मानसिक सेहत से शुरू हुई इस यात्रा में कई लोग जुड़ते चले गए। अब कनेक्टेड का दायरा बढ़ने लगा। महिलाओं के अलावा बच्चे, बुज़ुर्ग, पुरुष और किशोरों की मानसिक सेहत पर भी गंभीर चर्चाएं की जाने लगी। इसमें कई पेशेवर विशेषज्ञों को भी जोड़ा गया। उनके साथ आने से इन चर्चाओं को एक सकारात्मक दिशा मिलने लगी।
मानसिक सेहत पर कनेक्टेड ने ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ और ‘ओपन माइक’ कार्यक्रम शुरू किया। इसके ज़रिये उन लोगों की कहानी सामने लाई गई जो कई जानलेवा बीमारियों को मात देकर विजेता बने थे।

सोशल मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल

फ़िर वो दौर आया जब देश ही नहीं दुनिया के पैर थम गये। कोरोना के दौरान लॉकडाउन और कई तरह की पाबंदियों के बीच भी कनेक्टेड का कारवां नहीं रूका। कनेक्टेड ने सोशल मीडिया को मंच बना लिया। वो दौर भी लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा था। कनेक्टेड ने ना सिर्फ़ सोशल मीडिया पर अलग-अलग मुद्दों पर चर्चाएं की बल्कि लोगों को कला से जोड़ने का भी प्रयास किया। हफ़्ते के हर दिन सोशल मीडिया के माध्यम से कनेक्टेड ने मेंटल हेल्थ से जुड़ी हुई कई दिलचस्प गतिविधियां शुरू की। ‘आर्ट हील्स’ जैसे कार्यक्रमों ने लोगों के अंदर की निराशा को कम किया। इससे लोगों को उस बुरे दौर से बाहर निकलने में मदद मिली। कोरोना काल के दौरान गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और प्रसव से जुड़े मुद्दों पर डॉक्टर्स और विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गई।

ब्रेस्ट कैंसर के ख़िलाफ़ जंग

 महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की बढ़ती समस्या के ख़िलाफ़ भी कनेक्टेड ने जंग छेड़ी हुई है। ब्रेस्ट कैंसर के प्रति महिलाओं में जागरूकता फैलाना, झिझक हटा कर अपनी जांच करवाने के लिए कनेक्टेड महिलाओं को प्रेरित कर रहा है। समय-समय पर इस मुद्दे पर चर्चा और विशेषज्ञ, डॉक्टरों से बातचीत कर कनेक्टेड महिलाओं को इस बीमारी के प्रति ना केवल सचेत कर रहा है बल्कि उससे लड़ने में मदद पहुंचा रहा है।

बच्चों के लिए खुला मंच 

कनेक्टेड ने बच्चों के मेंटल हेल्थ को लेकर भी बहुत काम किया है। हाल ही में बच्चों के हुनर को निखारने और उनकी मन की बातों को सामने लाने के लिए एक ओपन माइक का आयोजन किया गया। इसमें न केवल बच्चों की प्रतिभा सामने आई बल्कि बच्चों ने अपनी शिकायतों का पिटारा भी खोल दिया। किसी ने कविता सुनाई, किसी ने गीत गाये और फ़िर सबने मिल कर पेंटिंग्स की। इसमें कार्यक्रम में शामिल बच्चों के अभिभावकों को भी अपनी कला दिखाने का मौक़ा दिया गया।

बड़ा होगा कनेक्टेड का कारवां 

हर किसी को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य दिलाने की सोच के साथ बढ़ रही ये संस्था आगे पुलिसकर्मियों और बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के लिए भी कार्यक्रमों का आयोजन करने की योजना बना रही है। इसमें ओपन माइक और मेंटल हेल्थ पर चर्चा शामिल है। ख़ास बात यह है कि इस संस्था के पास अभी कोई बंधी बंधाई आय का साधन नहीं है  केवल अपने जज़्बे और कुछ मददगारों के दम पर कनेक्टेड अपना काम कर रहा है। कनेक्टेड की संस्थापक रितु मानती हैं कि लोग एक-दूसरे से जुड़कर बहुत हद तक दर्द कम कर सकते हैं और कामयाब भी हो सकते हैं तो रजनी का मानना है कि अपने भीतर छिपी उदासी को किसी से बांट लेने से मन का अंधेरा उजाले में बदल सकता। बस दोनों की यही सोच कनेक्डेट के कारवां को आगे बढ़ा रही है।

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  • बहुत ही अच्छी पहल, ऋतु जी एक सकारात्मक सोच की सुलझी हुई व्यक्ति हैं। अपने मन को उबारने के साथ साथ उन्होंने सबके के हित के बारे में भी सोचा और काफी कुछ कर दिखाया। भगवान उनको और शक्ति व प्रेरणा दे।