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बंदे में है दम

वर्दी वाले गुरुजी

अयोध्या में दारोगा जी का स्कूल

पुलिस हमारे समाज और सिस्टम का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। क़ानून व्यवस्था क़ायम रखना, अपराध पर नियंत्रण करना और नागरिकों को सुरक्षा मुहैया कराना पुलिस के काम हैं लेकिन एक पुलिसवाला ऐसा भी है जो अपराध ही नहीं अपराध की जड़ को ख़त्म करने में जी-जान से जुटा है। वो मानता है कि जहां शिक्षा का उजियारा होगा वहां अपराध का अंधेरा नहीं टिक सकता। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट लेकर आया है इसी पुलिसवाले की कहानी।

ग़रीब बच्चों को शिक्षा देने का संकल्प

आप अगर अयोध्या आएं और कहीं सड़क किनारे अचानक आपको एक पुलिसवाला खुले आसमान के नीचे बच्चों को पढ़ाता नज़र आ जाए तो हैरत में मत पड़ियेगा। राम की नगरी में ये पुलिसकर्मी कई जगह ऐसे ही अपना स्कूल चला रहे हैं। अब आपका परिचय इनसे कराते हैं। इनका नाम है रणजीत यादव। यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं और फ़िलहाल अयोध्या में डीआईजी दफ़्तर में तैनात हैं। रणजीत ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो आम लोगों के मन में बैठी ख़ाकी की नकारात्मक छवि को बदल रहे हैं।

रणजीत अयोध्या में भिक्षा मांग कर जीवन बिताने वालों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के पावन यज्ञ में अपनी आहुति दे रहे हैं। शहर के कई इलाक़ों में वो अक्सर सड़क किनारे बच्चों को पढ़ाते नज़र आ जाते हैं।

बच्चों को देख ख़ुद का बचपन याद आया

बात साल 2021 की है। रणजीत अयोध्या के नया घाट चौकी में तैनात थे। वो घाटों पर अक्सर भिखारियों को भीख मांगते देखा करते थे। जब वो उनके बच्चों को देखते तो उनका दिल-ओ-दिमाग बेचैन हो उठता। बच्चों की ये हालत उनसे देखी नहीं जाती। इन बच्चों को देख उनको अपना बचपन याद जाता था। रणजीत का बचपन भी बहुत ग़रीबी में बीता था। दूसरों से क़िताबें मांग कर वो पढ़ाई किया करते थे। इन बच्चों में रणजीत को अपने पुराने दिन नज़र आने लगते थे। वो हमेशा इनके लिए कुछ करने का सोचा करते। आख़िरकार नवंबर 2021 में उन्होंने इन बच्चों के लिए जयसिंहपुर वार्ड की मलिन बस्ती में स्कूल की शुरुआत कर दी। वो पुलिस की अपनी बेहद व्यस्त और थका देने वाली ड्यूटी के बाद इस बस्ती में पहुंचते और पूरे उत्साह के साथ इन बच्चों को पढ़ाया करते। धीरे-धीरे उनके स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ती गई और आज क़रीब 65 बच्चे उनके स्कूल से शिक्षा हासिल कर रहे हैं। वो बच्चों के लिए कॉपी, पेंसिल, स्लेट जैसी स्टेशनरी के सामान भी लाते हैं। खुले आसमान के नीचे, पेड़ की छांव में वर्दी वाले गुरुजी की क्लास लगातार चलती है। अब तो बच्चे अपने दारोगा गुरुजी का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं। इतने दिनों में रणजीत और बच्चों के बीच का रिश्ता इतना प्रगाढ़ हो चुका है कि रणजीत ख़ुद इन बच्चों से दूर नहीं रह पाते। रणजीत की कोशिश है कि पढ़ाई के बाद इन बच्चों को अच्छी ज़िंदगी मिले और भीख मांग कर पेट पालने वाली ज़िंदगी से इन्हें मुक्ति मिल सके।

समाजसेवा की भावना से ओत-प्रोत

रणजीत यादव भिखारियों के बच्चों को पढ़ाने के अलावा समाज सेवा के अलग-अलग कामों से भी लगातार जुड़े रहते हैं। पौधारोपण, रक्तदान, ग़रीबों और ज़रूरतमंदों की मदद करने के कामों में वो हमेशा आगे रहते हैं। मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले रणजीत के जीवन का मूल मंत्र ही सेवा की भावना है।

साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी दिलचस्पी शिक्षा से नए समाज के सृजन में जुटे रणजीत की दिलचस्पी साहित्य से भी बहुत गहरी है। वो साहित्यिक सम्मेलनों में हिस्सा लेते हैं। कविता पाठ करते हैं। समाजसेवा के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी उन्हें कई सम्मान हासिल हो चुके हैं।