कला ना अमीरी-ग़रीबी देखती है और ना ही उम्र। किसी के हाथ में अगर कला है तो वो एक ना एक दिन ज़रूर निखरती-संवरती है। और फ़िर उसी दिन से उगता है बदलाव का सूरज। कुछ...
कला ना अमीरी-ग़रीबी देखती है और ना ही उम्र। किसी के हाथ में अगर कला है तो वो एक ना एक दिन ज़रूर निखरती-संवरती है। और फ़िर उसी दिन से उगता है बदलाव का सूरज। कुछ...