शायद ही कोई शख़्स होगा जिसे परिंदों की मीठी बोली ना भाती हो। उनकी चहचहाहट हमें प्रकृति के और नज़दीक ले जाती हैं। लेकिन आज पेड़ों के लगातार कटने से इन परिंदों...
शायद ही कोई शख़्स होगा जिसे परिंदों की मीठी बोली ना भाती हो। उनकी चहचहाहट हमें प्रकृति के और नज़दीक ले जाती हैं। लेकिन आज पेड़ों के लगातार कटने से इन परिंदों...