ज़रा सोचिए। अगर हम बोल और सुन नहीं पाते। हमारी बात, हमारी भावनाएं, हमारी सोच, हमारे अपने भी नहीं समझ पाते तो ज़िंदगी कितनी विकट, कितनी कष्टप्रद हो जाती। हमारे...
ज़रा सोचिए। अगर हम बोल और सुन नहीं पाते। हमारी बात, हमारी भावनाएं, हमारी सोच, हमारे अपने भी नहीं समझ पाते तो ज़िंदगी कितनी विकट, कितनी कष्टप्रद हो जाती। हमारे...