क्या हम कल्पना कर सकते हैं ख़ुद को बिना हाथों के? सोच कर के ही सिहरन होती है कि बिना दोनों हाथ के ज़िंदगी कितनी दुश्वार होगी। लेकिन दुनिया में सैकड़ों ऐसे भी...
क्या हम कल्पना कर सकते हैं ख़ुद को बिना हाथों के? सोच कर के ही सिहरन होती है कि बिना दोनों हाथ के ज़िंदगी कितनी दुश्वार होगी। लेकिन दुनिया में सैकड़ों ऐसे भी...