दूध बेचने के व्यवसाय के बारे में आपके क्या विचार हैं? मतलब दिमाग में या तो डेयरी आती होगी या फिर तबेला। लेकिन, सोचिए भारत का एक बी टाउन, उसमें एक कॉर्पोरेट ऑफिस, उसमें दो युवा जो मिलकर चला रहे हैं एक स्टार्ट अप। स्टार्ट अप किस चीज़ का? स्टार्ट अप डेयरी प्रोडक्ट का। झारखंड की राजधानी रांची की प्युरेश डेली एक ऐसी ही डेयरी है जिसे चलाते हैं दो युवा मनीष पीयूष और आदित्य कुमार। तो आज आपको मिलवाते हैं इन्हीं दोनों से।
इंजीनियरिंग और मैनेजमेन्ट वाले दूधवाले भैया
प्युरेश डेली के संस्थापकों में से एक मनीष पीयूष ने रांची के BIT Mesra से इंजीनियरिंग की है। साल 2006 में इंजीनियरिंग करने के बाद साल 2012 में IIM इंदौर से एमबीए किया। इसके बाद एमएनसी में बढ़िया पैकेज पर नौकरी भी की। कंपनी के दूसरे पार्टनर आदित्य कुमार ने भी BIT Mesra से ही इंजीनियरिंग की। दोनों की दोस्ती ही यहां पढ़ाई के दौरान हुई थी। इंजीनियरिंग करने के बाद आदित्य विदेश चले गये। वहां एमएनसी में बढ़िया नौकरी की। बहुत अच्छी पढ़ाई और एमएनसी की नौकरी के दौरान भी दोनों दोस्तों को एक कमी सी महसूस होती थी। कमी अपनी मिट्टी, अपनी जगह से जुड़ ना पाने की। इसके लिए कुछ ना कर पाने की। इसी वजह से आदित्य और मनीष ने मिलकर, बहुत सोच समझकर फैसला लिया वापस रांची आने का और डेयरी खोलने का।
मेहनत से राह बनायी
दोनों दोस्तों ने दो गाय पालकर शुरुआत की। शुरुआती दौर में दोस्तों और रिश्तेदारों को दूध बेचना शुरु किया। इसके बाद दोनों दोस्तों ने अपनी बुद्धि और मैनेजमेन्ट स्किल के दम पर रांची शहर के हर चौक, चौराहे पर दूध का प्रचार प्रसार किया। इसका नतीजा ये रहा कि 6 महीने के अंदर ही 200 ग्राहकों को उन्होंने जोड़ लिया। दो से दस हुई ये गायें आज 70 हो चुकी हैं।
शुद्ध मिल्क प्रोडक्ट का दूसरा नाम बना प्युरेश डेली
साल 2015 में जब ये दोनों दोस्त रांची आये तो उन्होंने देखा कि लोग पैकेट का दूध ज्यादा पीते हैं जो कि अधिकतर ताज़ा नहीं होता है। ऐसे में जब इस डेयरी की शुरुआत हुई तो दोनों दोस्तों को लगा कि लोगों तक ज़्यादा मात्रा में शुद्ध और ताज़ा दूध पहुंचाना ज़रूरी है। इसलिए उन्होंने दूध उत्पादक किसानों से भी दूध ख़रीदना शुरू कर दिया। प्युरेश डेली के पास आज के वक्त रोज़ाना 5 से 6 हज़ार लीटर दूध उपलब्ध रहता है। रोज़ाना 15 सौ लीटर दूध रांची में होम डिलीवरी के माध्यम से पहुंचाया जाता है। वहीं 4 हज़ार लीटर दूध से दही, पनीर, घी और लस्सी जैसे 20 से अधिक डेयरी उत्पाद तैयार होते हैं और बेचे जाते हैं।
रोज़गार करने वाले नहीं, देने वाले बने दोनों दोस्त
मनीष और आदित्य आज से कुछ साल पहले तक खुद एक कंपनी के लिए काम कर रहे थे। लेकिन, आज ये दोनों अपनी कंपनी के लिए लोगों से काम करवा रहे हैं। कंपनी में फिलवक्त 60 से अधिक लोग काम करते हैं। वहीं अगर कंपनी के लाभ के आंकड़ों को देखें तो सालाना 1.25 करोड़ का प्रॉफिट कमा रही है ये कंपनी।
विदेशों तक भी जा रहा है दूध
रांचीवालों को शुद्ध दूध पिलाते पिलाते प्युरेश डेली अब गल्फ कंट्री तक इसे पहुंचा चुकी है। रांची में कंपनी बिजनेस टू बिजनेस मॉडल के जरिए रिटेल शॉप तक इसे पहुंचाती है। वहीं होराइजन मॉडल के ज़रिए होटल और रेस्त्रां तक तक दूध और अन्य उत्पाद पहुंच रहे हैं। खास पैकेजिंग के ज़रिए ये प्रोडक्ट बंगलुरु और मुंबई भी पहुंच रहे हैं और कोलकाता के इनके एक्सपोर्टर इसे गल्फ कंट्री तक पहुंचा रहे हैं।
गाय को पौष्टिक चारा-दूध की बढ़ाए पौष्टिकता
गाय जो खाएगी वहीं दूध के माध्यम से आपके ग्लास में पहुंचेगा। तो ऐसे में प्युरेश डेली की टीम गाय क्या खाएगी और वो कैसे उगेगा इसके बारे में सबसे पहले सोचती है। नेपियर, एजोला, बरसीम और सिल्क ग्रास जैसा गाय का चारा इन्ही की देखरेख में ऐसे खेतों में उगता हैं जहां किसी भी प्रकार के पेस्टिसाइड या फर्टिलाइजर का इस्तेमाल नहीं होता है। इसके साथ ही गायों को किसी प्रकार हार्मोन इंजेक्शन नहीं लगाये जाते हैं। मनीष और आदित्य ये दावा करते हैं कि केवल इतना करने से ही उनके दुग्ध उत्पादों की न्युट्रिशियनल वैल्यू 20 प्रतिशत बढ़ जाती है। गायों के लिए बने फॉर्म में अत्याधुनिक सीसीटीवी कैमरा के साथ, मधुर संगीत और 400 ऐसे पेड़ भी लगाये गए हैं जहां गाय आराम कर सकती है।
स्टॉफ़ का ख़्याल
गायों के प्रति संवेदनशील आदित्य और मनीष अपनी कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों के प्रति भी संवेदनशील हैं। उनके यहां काम करने की पहली शर्त है गौ सेवा को अपना धर्म मानना। कंपनी कर्मचारियों को स्टाफ़ क्वार्टर तो देती ही है साथ ही उनकी साफ़-सफाई और सेहत का भी ध्यान रखती है। कंपनी उत्पाद को शुद्ध से शुद्ध रूप में ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। मनीष और आदित्य मिसाल है न सिर्फ युवाओं के लिए बल्कि उन लोगों के लिए भी जो अपना व्यवसाय चला रहे हैं। ईमानदारी और सरलता के साथ काम करने वाले युवाओं को हमारा सलाम।
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