उनकी उपलब्धि हमें चौंका रही है। उनकी क़ामयाबी हमें झकझोर रही है। उनकी सफलता हमें प्रेरित कर रही है। उन्होंने आज जिस मुक़ाम को हासिल किया है वो बहुत बड़ी बात है। इस क़ामयाबी को पाना हर उस शख़्स का सपना होता है जो भी देश की इस सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा की तैयारी करता है। वो परीक्षा है UPSC की और हम जिस शख़्सियत की बात कर रहे हैं उनका नाम है सम्यक जैन। सम्यक जैन ने UPSC की परीक्षा में देश भर में 7वीं रैंक हासिल की है।
ये क़ामयाबी है बड़ी
सम्यक की ये उपलब्धि बहुत बड़ी है। उनका रैंक बहुत ऊंचा है, लेकिन इन सबसे बड़ी बात ये है कि सम्यक ने ये क़ामयाबी तब पाई है जब वो दृष्टिबाधित हैं। जी, सही पढ़ा आपने। सम्यक जैन देख नहीं सकते। बावजूद इसके सम्यक ने ना केवल UPSC की तैयारी की, उसे क्रैक किया, बल्कि देश भर में 7वां स्थान हासिल कर अपनी क़ाबिलियत का लोहा मनवाया।
एक बीमारी ने छीन ली रोशनी
दिल्ली के रोहिणी में रहने वाले सम्यक बचपन में बिल्कुल ठीक थे। मां-बाप दोनों एयर इंडिया में काम करते है। सम्यक का बचपन मुंबई में बीता। वहीं पढ़े-लिखे, वहीं बड़े हुए। पढ़ाई में अच्छे थे तो इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया। लेकिन होनी को कुछ और ही मंज़ूर था। फर्स्ट ईयर की पढ़ाई के दौरान ही सम्यक की आंखों में परेशानी शुरू हो गई। उन्हें कम दिखाई देने लगा। डॉक्टरों को दिखाया गया। कई तरह की जांच के बाद पता चला कि उन्हें एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जो धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी पूरी तरह छीन लेगी। डॉक्टरों ने इसे जेनेटिकल बीमारी बताया। नतीजा ये हुआ कि सम्यक को इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़नी पड़ी।
हार नहीं मानने का जज़्बा
पहले आंखों की रोशनी का जाना और फ़िर इंजीनियरिंग की पढ़ाई का छूटना सम्यक के लिए बहुत बड़ा सदमा था। पूरा परिवार इससे उबर नहीं पा रहा था। लेकिन सम्यक ने अपने आप को संभाला और नई शुरुआत करने का फ़ैसला किया। उन्होंने ओपन स्कूल ऑफ़ लर्निंग से इंग्लिश ऑनर्स की पढ़ाई की। परीक्षा में सम्यक की मां उनके लिए पेपर लिखा करती थीं। ऑनर्स की पढ़ाई पूरी होने के बाद उनकी दिलचस्पी पत्रकारिता की तरफ़ जागी और उन्होंने प्रतिष्ठित संस्थान IIMC का एंट्रेस पास कर लिया। अंग्रेजी पत्रकारिता का कोर्स पूरा किया। सम्यक ने जैसे ठान लिया था कि अब कोई भी परेशानी, कोई भी बाधा उनका रास्ता नहीं रोक सकती। IIMC से पास करने के बाद उन्होंने JNU से अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर मास्टर्स में एडमिशन ले लिया। पढ़ाई से लगातार जुड़ाव और उनका अपनी जीत के लिए बढ़ता जज़्बा, उन्हें एक नए मुक़ाम की तरफ़ ले जा रहा था। JNU में पढ़ाई के दौरान ही उनकी दिलचस्पी सिविल सर्विसेज़ की तरफ़ जागी।
कोरोनाकाल में UPSC की तैयारी
तब तक दुनिया के बाकी मुल्कों के साथ-साथ कोरोना भारत में भी अपना जाल फैला चुका था। लॉकडाउन ने देश की रफ़्तार थाम दी थी। लेकिन सम्यक ने अपनी रफ़्तार कम नहीं की, बल्कि और बढ़ा दी। इसी दौरान उन्होंने जमकर UPSC की तैयारी की। पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशन्स को अपने विषय चुने।
मां और दोस्त ने लिखे पेपर
सम्यक देख नहीं सकते हैं इसलिए उन्हें परीक्षा में एक लिखने वाले की सुविधा मिलती है। ग्रेजुएशन की तरह UPSC के प्रीलिम्स में उनकी मां ने ही उनके पेपर लिखे जबकि मेन्स में एक दोस्त ने। सम्यक अपनी क़ामयाबी का बहुत बड़ा श्रेय अपनी मां और अपनी दोस्त को देना नहीं भूलते।
युवाओं के लिए प्रेरणा हैं सम्यक
सम्यक की कहानी हर युवा को नई राह दिखा रही है। उन्होंने अपनी मेहनत, अपनी लगन और ख़ुद पर उनके भरोसे के दम पर ये उपलब्धि हासिल की है। केवल दूसरी कोशिश में UPSC में 7वीं रैंक हासिल करने वाले सम्यक भी युवाओं को कभी हार नहीं मानने की सलाह दे रहे हैं।
Add Comment