आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट एक ऐसे वर्दीवाले की कहानी लेकर आया है जो ना केवल क़ानून व्यवस्था के रक्षक हैं बल्कि मानवता के भी रखवाले हैं। ख़ाकी वर्दी वाले मानवता और क़ानून के प्रहरी का नाम है आशीष दहिया। आशीष दिल्ली पुलिस के कमांडो हैं। अब हम आपको ये बताते हैं कि आख़िर उन्हें मानवता का रक्षक क्यों कहा जाता है। दरअसल आशीष अब तक सौ से भी अधिक बार रक्तदान, प्लेटलेट्स और ब्लड सेल्स दान कर चुके हैं। उनका ये दान ना जाने कितने लोगों की जान बचा चुका है। आज की कहानी इसी रक्तवीर के नाम।
जब समझा रक्तदान का महत्व
ये साल 2003 की बात है। आशीष दहिया ने एक ऐसे युवा को देखा जिसे ख़ून की सख़्त ज़रूरत थी। बिना ख़ून चढ़ाए उसका बचना मुश्किल था। आशीष ने जब इस हालात को देखा तब उन्हें अहसास हुआ कि रक्तदान कितना ज़रूरी है। इस घटना ने आशीष के जीवन को एक नई दिशा दे दी। उन्होंने फ़ैसला कर लिया कि वो रक्तदान को अपने जीवन का हिस्सा बना लेंगे। लेकिन ये आसान नहीं था। रक्तदान को लेकर लोगों के मन में कई भ्रांतियां भी हैं। कई लोग रक्तदान को शरीर के लिए नुक़सानदायक मानते हैं। आशीष के घरवालों की भी कुछ ऐसी ही सोच थी। जब उन्हें पता चला कि आशीष ने रक्तदान का फ़ैसला किया है तो उन्होंने आशीष को भी समझाने की कोशिश की लेकिन उनका फ़ैसला अडिग था।
2016 में नई शुरुआत
आशीष ने रक्तदान का सिलसिला शुरू कर दिया था। इस बीच साल 2016 में दिल्ली पुलिस ने इसी से जुड़ा एक अभियान शुरू कर दिया। रक्तदान के इस अभियान से शुरुआत में दिल्ली पुलिस के केवल 15-16 वॉलेंटियर जुड़े थे लेकिन जल्द ही ये 250 हो गई। इसके साथ ही इसमें हरियाणा पुलिस और सेना के 650 जवान भी शामिल हो गए। बाद में इसे दिल्ली पुलिस की जीवन-दायनी योजना के नाम से जाना जाने लगा। इसमें आशीष ही नहीं रविंदर धारीवाल और अमित फोगाट जैसे भी पुलिसवाले शामिल थे जिन्होंने रक्तदान को एक मिशन की तरह अंजाम दिया। दोनों ने क़रीब 90 बार रक्तदान किया है।
कोरोना काल में निभाई बड़ी भूमिका
साल 2020 में कोरोना के दौरान इनलोगों ने दोहरी भूमिका को अंजाम दिया। एक तरफ़ क़ानून व्यवस्था और लॉकडाउन के हालात को संभालना तो दूसरी तरफ़ कोरोना पीड़ितों को ख़ून और प्लाज़मा मुहैया करवाना। दिल्ली पुलिस ने इसी दौरान जीवन रक्षक के नाम से प्लाज़मा बैंक की शुरुआत की। कोई भी इसमें अपने आप को रजिस्टर करवा कर प्लाज़्मा डोनेट कर सकता था। आशीष और उनके साथियों ने इसमें भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
114 बार रक्तदान
आशीष ने अब तक 114 बार रक्तदान, प्लेटलेट्स और व्हाइट ब्लड सेल्स दान किये हैं। उन्होंने 100वीं बार रक्तदान तब किया जब वो पोर्ट ब्लेयर में छुट्टियां मना रहे थे। सिर्फ़ आशीष ही नहीं उनकी पत्नी पारूल भी आशीष की ही तरह रक्तदान करती हैं। इसके साथ-साथ वो कैंसर पीड़ितों के लिए विग बनाने के लिए बाल दान अभियान भी चलाती हैं। दोनों पति-पत्नी वृक्षारोपण और ग़रीब-असहायों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते हैं। आशीष दहिया से प्रभावित होकर उनके लगभग हर जानकार और रिश्तेदार अब रक्तदान करने लगे हैं। वो हर बार रक्तदान करने की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डालते हैं, साथ ही ये भी बताते हैं कि वो कितनी बार रक्तदान कर चुके हैं।
आशीष के इस रक्तदान प्रेम को दिल्ली पुलिस ने भी हमेशा बढ़ावा दिया है। देश प्रेम, त्याग और मानवता की भावना से ओत-प्रोत आशीष दहिया को हमारा सलाम।
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