“कुछ कर गुजरने का जज़्बा ही समाज में बदलाव की शुरुआत लाता है। इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट की आज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। अपने घर की माली हालत को सुधारने के लिए उठाया गया एक क़दम कैसे महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में क्रांति बन गया। ये कहानी इसी क्रांति की है। ये कहानी दीमापुर की लिली की है।”
कहानी दीमापुर की लिली की
कंधे पर LPG सिलेंडर उठाए ये तस्वीर है लिली की। वो इंडेन की गैस एजेंसी में सिलेंडर डिलिवरी गर्ल का काम करती है। 7 लोगों का परिवार और कमाने वाले सिर्फ़ एक -लिली के पिता। पिता का काम भी ऐसा कि घर चलाना मुश्किल हो रहा था। तब पढ़ाई कर रही लिली ने पिता का साथ देने और घर के ख़र्चे में हाथ बंटाने की ठानी।
इसके बाद शुरू हुई नौकरी की तलाश। लिली ने अपनी जान-पहचान वालों और दोस्तों से मदद मांगी। लिली को उसके एक दोस्त ने गैस एजेंसी में डिलिवरी एजेंट की वैकेंसी के बारे में बताया। लेकिन ये नौकरी ऐसी थी कि फ़ैसला लेने से पहले लिली के पांव ठिठक गए।
मन में सवाल उठने लगे- क्या वो इस काम को कर पाएगी, क्या वो घर-घर जाकर सिलेंडर पहुंचा पाएगी, लोग क्या कहेंगे, ना जाने कितने सवाल उसके मन में आशंकाओं के बादल की तरह डेरा जमाने लगे। फिर लिली ने अपने माता-पिता से बात की। अपनी आशंकाओं के बारे में पूछा और उधर से जो जवाब मिला उसने लिली में नया जोश भर दिया।
एक फ़ैसले से मिट गया फ़ासला
घरवालों का साथ मिलते ही लिली ने गैस एजेंसी की नौकरी ज्वाइन कर ली। शुरुआत के कुछ दिन लिली के लिए चुनौती भरे रहे। गैस एजेंसी से लेकर ग्राहकों के घर तक का सफर आसान नहीं रहा लेकिन हालातों को टक्कर देने का माद्दा रखने वाली लिली ने देखते ही देखते इसमें महारथ हासिल कर ली। गैस सिलेंडर डिलिवरी के सारे प्रोटोकॉल का पालन करती हुई लिली आज रोज़ाना 40 सिलेंडर की डिलिवरी कर रही है।
लिली की कहानी, बदलाव की निशानी
कई लोगों के मन में ये बात भी उठी थी कि सिलेंडर की डिलिवरी करना आख़िर कौन सी बड़ी बात है। सही भी है लेकिन ये भी सोचना चाहिए कि क्या हमने कभी किसी महिला को ऐसे सिलेंडर की डिलिवरी करते देखा है ? शायद हमारा ज़बाव ना ही होगा। हमारे समाज में ये मिथक है कि भारी और मुश्किल काम सिर्फ़ पुरुष ही कर सकते हैं। इस मिथक को लिली और उन जैसी हज़ारों महिलाओं ने ध्वस्त कर दिया है।
अपने नाम की ही तरह लिली भी एक प्यारी और मासूम लड़की है लेकिन अपने जज़्बे से वो तथाकथित मर्दों के इस काम को बख़ूबी अंजाम देकर तारीफ़ें बटोर रही है। आज हमारे समाज और हमारे देश को ऐसी ही हज़ारों लाखों लिली की ज़रूरत है जो नारी शक्ति का प्रतीक बन सके।
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