पुरानी मान्यता है कि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। अगर हमारा शरीर तंदुरुस्त है, फिट है तो फ़िर दिमाग भी चुस्त रहता है। आज के समय में फिटनेस एक कल्चर एक क्रेज भी बन गया है। हम सब चाहते हैं कि हमारा शरीर फिट रहे लेकिन इसके लिए ज़रूरी चीज़ों को करने से हम भागते हैं। इसके साथ अनियमित जीवनशैली और खानपान में लापरवाही बाक़ी के काम कर देती है और हमारा शरीर मोटापे का शिकार बन जाता है। आज इंडिया स्टोरी प्रोजेक्ट में कहानी एक आईपीएस ऑफ़िसर की जिसने अपने बेहद व्यस्त और कठिन ड्यूटी के बीच सामंजस्य बिठा कर अपने शरीर को फिट बनाया। ऐसा फिट कि उनकी फिटनेस के हज़ारों फैन बन चुके हैं। ये कहानी है मध्य प्रदेश में छतरपुर रेंज के डीआईजी विवेक राज सिंह की।
ख़ुद को बदलने का संकल्प
ये दो तस्वीरें एक ही इंसान की हैं, नाम है विवेक राज सिंह। एकबारगी यकीन करना मुश्किल है लेकिन ये सच है। इन दो तस्वीरों का अंतर ही आपको विवेक की फिटनेस यात्रा की कहानी समझा देगा। विवेक आज एक फिट, चुस्त-तंदुरुस्त नज़र आते हैं। पुलिस की वर्दी में वो किसी फ़िल्मी हीरो से कम नहीं दिखते। सिंघम जैसी छवि झलकती है। विवेक में ये बदलाव साल 2019 के आख़िरी महीनों में आना शुरू हुआ। इससे पहले विवेक का शरीर काफ़ी मोटा था। उनका वजह 130 किलो से ज़्यादा था। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी। विवेक को अच्छी तरह याद है। वो साल 2019 का नवंबर था जब उन्होंने ख़ुद को बदल डालने की ठानी थी। इस बदलाव के लिए उन्होंने सबसे पहला क़दम उठाया था क़दम बढ़ाने का। उन्होंने रोज़ाना चलना शुरू किया। वॉकिंग ने उनके शरीर पर असर दिखाना शुरू किया। उन्होंने स्टेप्स काउंट के लिए मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया। पहले 10 हज़ार, फ़िर 20 हज़ार, फ़िर 30 हज़ार और अब 40 हज़ार स्टेप्स रोज़ाना।
कसरत और खाने पर ध्यान
केवल पैदल चलने से ही विवेक का शरीर फिट हो रहा था। बिना किसी नागा के, बिना किसी बहाने के विवेक रोज़ाना अपने व्यस्त जीवनशैली से समय निकाल कर पैदल चला करते थे। अपने शरीर में आ रहे बदलाव को देखकर विवेक ने मसल बिल्डिंग एक्सरसाइज़ भी शुरू कर दी। इसके साथ ही उन्होंने अपने खान-पान के तरीके में भी बदलाव किये। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को अपने खाने में शामिल किया। रोज़ाना कैलोरी इन्टेक और कैलोरी बर्न पर ध्यान दिया। ख़ास बात ये रही कि उन्होंने कभी भी अपनी मनपसंदीदा चीज़ों को खाने से परहेज नहीं किया। हां उसकी मात्रा पर ज़रूर ध्यान दिया। अपने शरीर को फिट बनाकर उन्होंने ब्लड प्रेशर की बीमारी को भी कंट्रोल कर लिया है।
9 महीने में 47 किलो वजन कम
डीआईजी विवेक बताते हैं कि नवंबर 2019 में जब उन्होंने पैदल चलना शुरू किया था तब उनका वजन 130 किलो से ज़्यादा था। लगातार वॉकिंग और एक्सरसाइज से उन्होंने अपने वजन को 83 किलो तक पहुंचा दिया यानी केवल 9 महीने में उनका वेट 47 किलो कम हो गया। अब वो पहले कि तरह मोटे नहीं बल्कि एक चुस्त-दुरुस्त पुलिस अधिकारी नज़र आते हैं। ख़ास बात ये है कि वजन कम करने के बाद भी ना तो उनकी वॉकिंग में कमी आई है और ना ही उनके खानपान में। उन्होंने इसे ही अपनी जीवनशैली में ढाल लिया है।
फूडी होना मोटापे की बना था वजह
विवेक बताते हैं कि वो बचपन से ही फूडी थे। खाने के ख़ूब शौकीन। पेट भरा हो तब भी पसंद का खाना छोड़ते नहीं थे। थाली में आया खाना बर्बाद ना हो इसके लिए भी वो अक्सर ज़्यादा खा लिया करते थे। इस वजह से वो छोटी उम्र से ही मोटे हो गए थे। यूपीएससी की पढ़ाई के दौरान भी पढ़ने और खाने के अलावा कोई काम नहीं था। इससे भी उनका वजन बहुत तेज़ी से बढ़ा। नतीजा ये हुआ कि जब यूपीएससी पास करने के बाद वो ट्रेनिंग के लिए राष्ट्रीय पुलिस अकादमी पहुंचे तो उनका वजन 134 किलो हो चुका था। ट्रेनिंग के दौरान दौड़, ऊंची और लंबी कूद समेत कई तरह के व्यायाम कराए जाते थे। इससे उनका वजन कम होने लगा। पहली पोस्टिंग तक उनका वेट 104 किलो तक पहुंच गया था लेकिन ये स्थिति ज़्यादा दिनों तक नहीं रही। उनका वजन फ़िर पहले जैसा हो गया। बचपन से लेकर बड़े होने तक कई बार उन्हें मोटापे की वजह से मज़ाक का पात्र बनना पड़ता था।
रोल मॉडल बन गए विवेक
कभी मोटापे की वजह से मज़ाक बनने वाले विवेक अब लोगों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं। विवेक बताते हैं कि उनकी एक मोटे शरीर से फिट बॉडी पाने की यात्रा को देख कर लोग उन्हें फ़ोन करते हैं। पूछते हैं कि आख़िर उन्होंने ऐसा कैसे कर लिया। युवा उनसे प्रेरणा ले रहे हैं। यहां तक कि पुलिस विभाग में उनके साथ काम करने वाले भी उनसे प्रेरित होकर ख़ुद में भी बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। अपने फ़िल्मी हीरो जैसे लुक पर विवेक कहते हैं कि लुक का बहुत प्रभाव पड़ता है। एक तरफ़ वो लोगों के बीच सकारात्मक छवि बनाता है तो दूसरी तरफ़ ख़ुद का आत्मविश्वास भी बढ़ाता है।
फिटनेस के लिए क़दम दर क़दम
विवेक मानते हैं कि ज़िंदगी में कोई शॉर्ट कट नहीं चलता। हमें अपनी व्यस्त जीवनशैली से ही समय निकाल कर अपने शरीर को फिट करना होगा। विवेक बताते हैं कि जब उन्हें सुबह काम रहता है तो वो शाम में वॉक करते हैं। उन्होंने नियम बना लिया है कि फ़ोन पर बात करते-करते वो पैदल चलने लगते हैं। छोटी दूरी के लिए वो गाड़ी का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि पैदल ही जाते हैं। इसी साल 28 अप्रैल को उन्होंने कुछ ऐसा कर दिखाया जो चर्चा का विषय बन गया। विभाग की बैठक के लिए उन्हें छतरपुर से पन्ना जाना था। सुबह वो अपनी गाड़ी से पन्ना की तरफ़ निकले और केन नदी के पुल पर पहुंचते ही उन्होंने गाड़ी छोड़ दी और दौड़ लगा दी। ढाई घंटे में 21 किलोमीटर दौड़ कर वो दफ़्तर पहुंचे और उसके बाद बैठक की। वो अक्सर अपने विभाग की बैठकों में भी साथी पुलिसकर्मियों को फिटनेस पर टिप्स देते हैं, उनका हौसला बढ़ाते हैं। वो कहते हैं कि ज़्यादातर पुलिसवालों के मोटापे की वजह उनकी व्यस्त और अनियमित जीवनशैली है। देर तक काम करना, बहुत देर तक भूखा रहना, एक बार में बहुत ज़्यादा खा लेना जैसी आदतें उनके शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। विवेक अपने साथी पुलिसवालों से इन्हीं सब आदतों से छुटकारा पाने के उपाय बताते हैं। विवेक के मुताबिक अगर इंसान समय प्रबंधन करना सीख ले तो बहुत सारी मुश्किलों से मुक्ति मिल सकती है।
सोशल मीडिया पर जागरूकता संदेश
डीआईजी विवेक राज सिंह सोशल मीडिया पर भी काफ़ी एक्टिव हैं। उन्होंने अपनी इस फिटनेस जर्नी को सोशल मीडिया पर साझा किया है। इसके साथ ही वो अक्सर साइकिलिंग, दौड़ और दूसरे कसरतों के वीडियो और फोटो पोस्ट करते हैं। लोगों को फिट रहने के टिप्स देते हैं। वो युवाओं को सकारात्मक सोच और लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने की सलाह देते हैं। वो कहते हैं कि इससे सफलता ज़रूर मिलेगी और अगर असफल भी हों तो निराश ना हों। जीवन बहुत बड़ा है और आगे और बेहतर होगा। निश्चित तौर पर आईपीएस विवेक राज सिंह ने अपने दृढ निश्चय के दम पर अपने आप को इतना बदल लिया है कि वो एक रोल मॉडल बन चुके हैं।
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